नौ दिन तक चलने वाली मां के नौ रूपों की पूजा का "महानवमी" आखिरी दिन होता है। अष्टमी और नवमी के दिन कन्याओं का पूजन होता है और हलवा प्रसाद बांटा जाता है। महानवमी अलग अलग इलाकों में अलग अलग तरह से मनाई जाती है। कन्या पूजन के लिये छोटी छोटी बच्चियों को मां के स्वरुप बनाकर उनकी पूजा की जाती है। वहीं केरल में अष्टमी के दिन सरस्वती मां की पूजा होती है। नवमीं के दिन कोई नया काम नहीं शुरू किया जाता और ना ही बच्चे इस दिन नई पढ़ाई शुरू करते हैं।

कैसे करें कन्या पूजन
-आस पड़ोस की छोटी छोटी कन्याओं को निमंत्रण दें
-एक छोटा बालक भी बैठाएं
-घर आने पर कन्याओं के पैर खुद हाथों से धोएं
-सबको लाल चुनरी ओढ़ाएं
-साफ स्थान पर बैठाएं
-सभी को तिलक लगाएं
-खाने में, हलवा पूरी, चने, खीर और अन्य जो बना है वो दें
-अपनी इच्छानुसार दक्षिणा या उपहार दें
-एक बार फिर से सबके पैर छूकर आशीर्वाद लें
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