नए साल की शुरुआत (अजब गजब परंपरा, प्रथा, कार्यक्रम, मान्यता, महत्व)
नए साल का सूरज अपने साथ नई एनर्जी और नई सोच भी लाता है। इसी सोच के साथ नए साल में नई ऊंचाई पर चढ़ने की आशा की जाती है। हर साल नए संकल्प लिये जाते हैं। हर साल किसी बुराई को खत्म करने का संकल्प लेकर अगर कोई चले तो कुछ ही साल में उनकी सारी बुराइयां खत्म हो सकती हैं। भारत में नए साल की शुरुआत पूजा पाठ से की जाती है। मीठा प्रसाद बनाया जाता है और फिर मंदिर में भोग लगाकर बांटा जाता है। नए कपड़े पहनकर पूरा दिन खुश रहते हैं ताकि सारा साल उनका खुशी में बीते। हालांकि दुनिया के कई अन्य इलाकों में नये साल की अजब गजब परंपराएं हैं। चलिये आपको ऐसी ही कुछ अलग परंपराओं के बारे में बताते हैं।
नया साल बच्चे के रूप में
“बच्चे” को नए साल के प्रतीक के तौर मे मानने का इतिहास देखें तो इसकी शुरुआत ग्रीस में करीब 600 ईसा पूर्व हुई थी। ग्रीस के लोग अपने भगवान के सामने बच्चे को टोकरी में रखकर नए साल की शुरुआत करते थे। इस बच्चे को भगवान के दुनिया में फिर से जन्म लेने के तौर पर देखा जाता था। मिश्र के लोग भी बच्चे को ही पुनर्जन्म का प्रतीक मानते थे। मिश्र के लोग नए साल की संध्या को घर के बाहर प्याज भी लटकाते हैं।
जब ईसाई धर्म पूरी दुनिया पर छाने लगा तो इस परंपरा को चर्च बंद करवाना चाहते थे,क्योंकि ईसाई धर्म में मूर्ति पूजा नहीं की जाती। हालांकि बच्चे के प्रतीक में नया साल मनाना इतना ज्यादा ख्याति पा चुका था कि चर्च को भी झुकना पड़ा।
नए साल खाते हैं अंगूर
स्पेन में नए साल पर अंगूर खाने की परंपरा है। साल के आखिरी दिन के आखिरी 12 सेकंड में यहां के लोग 12 अंगूर खाकर न्यू इयर का वेलकम करते हैं।
पड़ोसी के सामने तोड़ते हैं बर्तन
डेनमार्क में नए साल की शुरुआत कुछ अजीब तरीके से होती हैं। सुबह सुबह लोग अपने पड़ोस के घर के दरवाजे पर प्लेट्स तोड़ते हैं। माना जाता है कि जिसके दरवाजे पर ज्यादा प्लेट्स टूटेंगीं उसो नए साल में उतने ही लोग पसंद करेंगे।
ज्यादा गिफ्ट पाने की होड़
जर्मनी में माना जाता है कि नए साल पर जिसको ज्यादा गिफ्ट मिलते हैं वो साल भर उतना ही ज्यादा खुश रहेगा। इसलिये लोगों में ज्यादा से ज्यादा गिफ्ट पाने की होड़ लगी रहती है।