जब कोई व्यक्ति सिगरेट पी रहा होता है तो इस लगता है वो सिगरेट को पी रहा है, लेकिन उसे यह नहीं पता होता कि असलियत में वही सिगरेट उसे पी रही होती है। अपने शौक के लिए पी हुई सिगरेट,तम्बाकू या ड्रग्स कब लत बन जाती है और व्यक्ति के मन-मस्तिष्क पर कब अपना कब्जा जमा लेती है उसे पता ही नहीं चलता और जब उसे इसका ज्ञात होता है, वो उसे दूर भागना चाहता है तब तक बहुत देर हो चुकी होती है। इसी धूम्रपान के शैतान से दुनिया को जागरुक करने के लिए धूम्रपान निषेध दिवस मनाया जाता है ताकि लोगों को धूम्रपान करने से होन वाले नुकसानों के बारे में बताया जा सके। विश्व के समस्त लोगों को धूम्रपान छोड़ने के लिए प्रोत्साहित करने हेतु प्रत्येक वर्ष मार्च महीने के दूसरे बुधवार को धूम्रपान निषेध दिवस मनाया जाता है। किन्तु व्यक्ति को धूम्रपान छोड़ने के लिए किसी विशेष दिन की आवश्यकता नहीं है वो किसी भी दिन से धूम्रपान करना छोड़ सकता है। इस दिन को मनाने का मुख्य उद्देश्य सिगरेट तथा अन्य साधनों के माध्यम से तंबाकू के सेवन द्वारा स्वास्थ्य पर पड़ने वाले हानिकारक प्रभावों के बारे में जागरूकता फैलाना है। धूम्रपान निषेध दिवस का महत्वपूर्ण सन्देश यह है कि धूम्रपान करने वालों को धूम्रपान की बुरी आदतों से छुटकारा दिलाने में उनकी सहायता करें। तंबाकू पीना अथवा चबाना सबसे बुरी आदतों में से एक है। समस्त लोग स्वास्थ्य ज़ोखिम के बारे में जानते है, लेकिन फिर भी प्रत्येक दिन हज़ारों युवा धूम्रपान शुरू करते है। कुछ युवा जिज्ञासावश तथा कुछ स्वयं को वयस्क दिखाने के लिए धूम्रपान शुरू करते हैं। आज तो सिर्फ पुरुष ही नहीं बल्कि महिलाएं भी तंबाकू, सिगरेट जैसे अन्य नशीले पदार्थों का प्रयोग कर रही हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि शहरी क्षेत्र में केवल 0.5 फ़ीसदी महिलाएं धूम्रपान करती हैं। जबकि ग्रामीण क्षेत्र में यह संख्या दो फ़ीसदी है। आंकड़ों की मानें तो पूरे भारत में 10 फ़ीसदी महिलाएं विभिन्न रूपों में तंबाकू का सेवन कर रही हैं। पुरुषों की बराबरी करते हुए अब महिलाएं धूम्रपान करने में भी उन्हें कड़ी टक्कर दे रही हैं। जिसके कारण लोगों को जागरुक करना आज बहुत जरुरी हो गया है।

धूम्रपान निषेध दिवस

धूम्रपान से हर साल 50 लाख लोगों की जाती है जान

धूम्रपान करना कोई टशन दिखाना नहीं होता, कई लोग खासकर युवा शौक-शौक में धूम्रपान की लत का शिकार हो जाते हैं और चाहकर भी फिर वो इससे दूर नहीं जा पाते। इसी धूम्रपान की वजह से हर साल प्रतिवर्ष 50 लाख लोगों की मौत हो जाती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की घोषणा के आधार पर इस समय पूरे विश्व में प्रतिवर्ष 50 लाख से अधिक व्यक्ति धूम्रपान के सेवन के कारण अपनी जान से हाथ धो रहे हैं। यदि इस समस्या को नियंत्रित करने की दिशा में कोई प्रभावी कदम नहीं उठाया गया तो वर्ष 2030 में धूम्रपान के सेवन से मरने वाले व्यक्तियों की संख्या प्रतिवर्ष 80 लाख से अधिक हो जायेगी। धूम्रपान से ना केवल कई बीमारियां हो रही है अपितु यह बीमारियां आने वाली पीढ़ियों को भी उपहार स्वरुप मिल रही हैं। अनुवांशिकता की वजह से मां के गर्भ में रह रहे बच्चे को भी कई बीमारियां हो रही है। माता के धूम्रपान करने से बच्चे का शारिरिक विकास सही से नहीं हो पाता। बच्चा कमजोर या अपंग पैदा होता है। उसी प्रकार घर में किसी के भी धूम्रपान करने से उसका धुआं शरीर में जाता है जो गर्भवती महिलाओं के लिए काफी हानिकारक होता है। यही नहीं बुजुर्गों और बच्चों को भी इससे काफी नुकसान पहुंच रहा है। बच्चे के कोमल ह्रदय पर धुम्रपान अपनी छाप छोड़ उन्हें मौत के मुंह में धकेल रहा है। दुनियाभर में तम्बाकू सेवन का बढ़ता चलन स्वास्थ्य के लिए बेहद नुक़सानदेह साबित हो रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) ने भी इस पर चिंता ज़ाहिर की है। तम्बाकू से संबंधित बीमारियों की वजह से हर साल करीब 5 मिलियन लोगों की मौत हो रही है। जिनमें लगभग 1.5 मिलियन महिलाएं शामिल हैं। रिपोर्ट के मुताबिक़ दुनियाभर में 80 फ़ीसदी पुरुष तम्बाकू का सेवन करते हैं, लेकिन कुछ देशों की महिलाओं में तम्बाकू सेवन की प्रवृत्ति तेज़ी से बढ़ रही है। दुनियाभर के धूम्रपान करने वालों का क़रीब 10 फ़ीसदी भारत में हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में क़रीब 25 करोड़ लोग गुटखा, बीड़ी, सिगरेट, हुक्का आदि के ज़रिये तम्बाकू का सेवन करते हैं।
धूम्रपान का घातक प्रभाव खाँसी, गले में जलन, सांस लेने में परेशानी और कपड़ों की दुर्गंध के साथ आरंभ होता है। इसकी वज़ह से त्वचा पर धब्बे और दांतों का रंग ख़राब (दांतों का पीलापन) हो जाता है। कोई वयस्क एक मिनट में लगभग 16 बार साँस लेता है, जबकि बच्चों में इसकी गति अधिक होती है। पाँच साल का एक सामान्य बच्चा एक मिनट में 20 बार साँस लेता है। किन्हीं विशेष परिस्थितियों में यह गति बढ़कर 60 बार प्रति मिनट तक हो सकती है। जाहिर है कि जिन घरों में सिगरेट या बीड़ी का धुआँ रह-रहकर उठता है उन घरों के बच्चे तंबाकू के धुएँ में ही साँस लेते हुए बड़े होते हैं। चूँकि वे वयस्कों से अधिक तेज गति से साँस लेते हैं इसलिए उनके फेफड़ों में भी वयस्कों के मुकाबले अधिक धुआँ जाता है। धुएँ के साथ जहरीले पदार्थ भी उसी मात्रा में दाखिल होते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक़ दुनिया के 125 देशों में तम्बाकू का उत्पादन होता है। दुनियाभर में हर साल 5.5 खरब सिगरेट का उत्पादन होता है और एक अरब से ज़्यादा लोग इसका सेवन करते हैं। भारत में 10 अरब सिगरेट का उत्पादन होता है। भारत में 72 करोड़ 50 लाख किलो तम्बाकू की पैदावार होती है। भारत तम्बाकू निर्यात के मामले में ब्राज़ील, चीन, अमरीका, मलावी और इटली के बाद छठे स्थान पर है।

धूम्रपान निषेध दिवस पर जागरुकता कार्यक्रम

एक ओर जहां विश्व तम्बाकू का सेवन कर मौत के आगोश में जा रहा है वहीं उन लोगों को इससे बचाने के लिए कई जागरुकता वाले कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। लोगों के बीच जाकर तम्बाकू के खिलाफ दुनिया भर में जागरूकता कार्यक्रम के रूप में धूम्रपान दिवस मनाया जाता है। इस दिन का मुख्य उद्देश्य सिगरेट और अन्य तरीकों के माध्यम से तंबाकू की खपत के हानिकारक स्वास्थ्य प्रभावों के बारे में जागरूकता फैलाना है। कार्यक्रम का सबसे बड़ा इरादा धूम्रपान करने वालों को धूम्रपान की आदत से छुटकारा दिला पाने में मदद करना है। विश्व तंबाकू निषेध दिवस को यूनाइटेड किंगडम के द्वारा साल 1984 में पहली बार मनाया गया ताकि लोगों को जागरुक कर सकें। तब से प्रतिवर्ष इसका आयोजन किया जाता है। यूके में नहीं बल्कि दुनिया भर में इस दिन पर अलग अलग थीम आयोजित की जाती है। उदाहरण के लिए, 2010 में धूम्रपान करने से लोगों को रोकने के लिए इसका नाम "ब्रेक फ्री" दिया गया था जो धूम्रपान करने की अपनी इच्छा को नियंत्रित नहीं कर सकते। उनके लिए इसका आयोजन किया गया था ताकि वो लोग अपनी इस आदत को थोड़ा ब्रेक तो दें। कई एनजीओ, सामाजिक संगठनों द्वारा कई संगोष्ठिया, कैंप, पोस्टर इत्यादि लगाकर लोगों को धूम्रपान करने से होने वाले नुकसानों के बारे में बताया जाता है। स्कूल-कॉलेजों में युवाओं को प्रेरित किया जाता है कि वो धूम्रपान ना करें। इसका सकरात्मक नतीजा भी अब सामने आ रहा है कई लोग धूम्रपान छोड़ने के लिए सामने आ रहे हैं। कई नेताओं, अभिनेताओं और चर्चित व्यक्तियों के जरिए भी लोगों को प्रेरित किया जाता है कि वो धूम्रपान छोड़ दें। कई विज्ञापनों के जरिए भी धूम्रपान से होने वाले नुकसान के बारे में बताया जाता है। ताकि व्यक्ति अपने स्वास्थ्य को लेकर गंभीर हो और धूम्रपान जैसी लत को छोड़कर एक अच्छा जीवन जी सके।

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