ओणम- एकता, प्यार, बलिदान और नई उमंग का त्योहार है। इन दस दिनों में बहुत कुछ होता है। सबसे अहम बात होती है रंगोली की। फूलों की रंगोली बनाना जरूरी होती है। माना जाता है कि राजा महाबलि इस दिन पाताल लोक से आते हैं और उनके स्वागत के लिये फूलों का गलीचा बिछाया जाता है। घर की लड़कियां रोज इस रंगोली को सजाती हैं।



उत्तरदम के दिन यानि 9वें दिन असली त्योहार शुरू होता है। इस दिन घर को सजाया जाता है। हर जगह फूलों की महक आती है। वामन अवतार और राजा महाबलि की मिट्टी की मूर्तियां बनाई जाती हैं। मूर्तियों को लाल रंग किया जाता है। मूर्तियों को सजाया जाता है और फिर विधिपूर्वक पूजा पाठ की जाती है। पूजा खत्म होने के बाद घर के पुरुष जयकारे लगाते हैं जिसे अरापु विलिक्कुल कहते हैं।

दसवां दिन ओणम का असली दिन होता है। इस दिन सब लोग नए कपड़े डालते हैं। एक दूसरे को गिफ्ट दिये जाते हैं। कंपनियों में कर्मचारियों को गिफ्ट बंटते हैं। जिसमें नाना प्रकार के पकवान होते हैं। केरल के लोग इस भोज को इतना पसंद करते हैं कि एक ओणसद्या भोज के लिए वह अपना सब कुछ बेच सकते हैं। परंपरा के अनुसार, ओणसद्या भोज केले के पत्ते पर परोसा जाता है। भोज में 60 तरह के व्यंजन और 20 तरह के मिष्ठान शामिल हैं।

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