केरल का शुमार भारत के उन राज्यों में है जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता, तटों में फैले नारियल के पेड़ों, बैकवॉटर्स, समुंद्र और आयुर्वेद के जरिये लगातार देश के अलावा दुनिया भर के पर्यटकों को अपनी तरफ आकर्षित कर रहा है। इसी क्रम में आज हम आपको अवगत कराने जा रहे हैं केरल के एक ऐसे डेस्टिनेशन से जिसे स्थानीय लोगों के अनुसार परम्पराओं का एक मिश्रण कहा जाता है। केरलीय जीवन की छवि यहाँ मनाये जानेवाले उत्सवों में दिखाई देती है। केरल में अनेक उत्सव मनाये जाते हैं जो सामाजिक मेल-मिलाप और आदान-प्रदान की दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं। केरलीय कलाओं का विकास यहाँ मनाये जानेवाले उत्सवों पर आधारित है। इन उत्सवों में कई का संबन्ध देवालयों से है, अर्थात् ये धर्माश्रित हैं तो अन्य कई उत्सव धर्मनिरपेक्ष हैं। ओणम केरल का राज्योत्सव है। यहाँ मनाये जाने वाले प्रमुख हिन्दू त्योहार हैं - विषु, नवरात्रि, दीपावली, शिवरात्रि, तिरुवातिरा आदि। मुसलमान रमज़ान, बकरीद, मुहरम, मिलाद-ए-शरीफ आदि मनाते हैं तो ईसाई क्रिसमस, ईस्टर आदि। इसके अतिरिक्त हिन्दू, मुस्लिम और ईसाइयों के देवालयों में भी विभिन्न प्रकार के उत्सव भी मनाये जाते हैं।

परिप्पल्ली के श्री भद्रकाली मंदिर में होने वाले उत्सवों में कुंभम में कालियूटू और मीनम (फरवरी-मार्च) में भारनी उत्सव का आयोजन होता है। कालीयूटू दारिका और भद्रकाली के बीच हुए युद्ध के उत्सव के रूप में मनाया जाता है। यह भद्रकाली उग्र रूप की देवी मन्दिर है। समापन के दिन विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ इस गजमेले में लगभग 50 हाथी शामिल होते हैं। इस मंदिर में आयोजित होने वाले अरातू उत्सव हर साल मीनम (मार्च-अप्रैल) में होती है,जिसकी शुरुआत उथरम दिवस के दिन अरातू के अंत के साथ कार्तिक वाले दिन कोडियेटू (झंडोत्तोलन) के साथ होती है।
यह उत्सव दस दिनों तक चलता है। हर दिन इस उत्सव में औसतन दस हजार लोग शामिल होते हैं। सुसज्जित हाथियों की अगुवाई में एक रंगारंग झांकी निकलती है, जिसमें सिल्क के कपड़े, छतरियां, मोरपंख आदि से सजावट की जाती है। यह इस उत्सव का मुख्य आकर्षण होता है। चिराइनकीजू रेलवे स्टेशन के निकट सरकारा गांव में सरकारा भगवती मंदिर स्थित है। यह त्योहार वर्ष में एक बार मनाया जाता है और मंदिर के आस पास का क्षेत्र विभिन्न उत्सवों और प्रार्थनाओं से जीवंत हो जाता है। केट्टूकज्ह्चा रंगों और उत्साहों से भरा होता है और दर्शकों के लिए एक सुखद अनुभव प्रस्तुत करता है|
परिप्पल्ली गजमेला कब मनाया जाता है ?
यह उत्सव हर वर्ष फ़रवरी-मार्च में मनाया जाता है|
परिप्पल्ली गजमेला स्थल कैसे पहुचें ?
निकटतम रेलवे स्टेशन: कोल्लम, यहां से लगभग 23 किमी दूर।
निकटतम हवाईअड्डा: तिरुवनंतपुरम अंतर्राष्ट्रीय हवाईअड्डा, यहां से लगभग 48 किमी दूर।