भारत का उत्तरी राज्य हिमाचल प्रदेश एक और जहां अपने खूबसूरत वादियों और घटाओं के लिए प्रसिद्ध है वहीं दूसरी और हिमाचल प्रदेश के त्यौहार और मेले भी अपने आप में खासा अनोखे व सुंदर होते हैं। चारों और बर्फ से ढके पहाड़ और घाटियां, झरने एवं देवदार के घने जंगर इस जगह की प्राकृतिक सुंदरता में चार चांद लगा देते हैं। हिमाचल के मेले और त्योहारों को जगह के स्थानीय लोगों द्वारा महान उत्साह और उत्साह के साथ मनाया जाता है। इनमें से कुछ घटनाओं का धार्मिक महत्व भी हैं जबकि अन्य के पास वाणिज्यिक महत्व है और कुछ मनोरंजन और मजेदार साधन हैं। वे स्वस्थ मनोरंजन, मनोरंजन और विपणन स्थल के रूप में भी काम करते हैं। ये त्यौहार और हिमाचल प्रदेश की घटनाएं संस्कृति, परंपरा और विरासत में समृद्ध हैं। यही वजह है कि ज्यादातर पर्यटक हिमाचल प्रदेश का रुख करते हैं। हिमाचल के मेले और त्यौहार भी इन्हीं घटाओं और यहां की पंरपराओं का प्रतिनिधित्व करते हैं। हिमाचल प्रदेश का फुलाअच मेला पूरे देश में प्रसिद्ध है। यह मेला किन्नौर जिले में सितंबर के महीने में आयोजित किया जाता है। फुलाइच मेला हिमाचल प्रदेश में अपनी तरह का सबसे अनूठा मेला है। यह मेला हिमाचल प्रदेश की संस्कृति का प्रतिक है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार यह मेला भाद्रपद के महीने में आयोजित किया जाता है, जो मानसून को प्रदर्शित करता है। यह मेला मूल रूप से किन्नौर घाटी में उकीयांग के फूल देखने वाले त्यौहार से जुड़ा हुआ है। फुलाइच मेला को फूलीच मेला भी कहा जाता है, उन लोगों को याद रखने के कार्य से जुड़ा हुआ है जो मर गए हैं। हिमाचल प्रदेश के लोग, उनकी अनूठी संस्कृजति और उनके त्योहार इस जगह को और खास बना देते हैं। यहां पर किन्नौर का फूलों का फुलाइच मेला बहुत प्रसिद्ध है। सेब और अखरोट के बागानों के लिए प्रसिद्ध किन्नौर गांव में फुलाइच मेले का आयोजन किया जाता है। इस दौरान बड़ी संख्या में पर्यटक यहां आते हैं क्योंति हिमाचल प्रदेश के लोगों, जगहों, खानपान और संस्कृति को इस मेले के ज़रिए जानने का सबसे यह सही समय होता है। इस मेले में हिमाचल प्रदेश की संस्कृति, सभ्यता एवं रीति-रिवाज देखने को मिलते हैं जो इस मेले को और ज्यादा खूबसूरत बना देते हैं।
फुलाइच मेला

कैसे मनाते हैं फुलाइच मेला

फुलाइच मेले के दौरान हिमाचल की घाटियों पर खूबसूरत फूल सजे रहते हैं। हिमाचल प्रदेश के लोग मृत प्रियजनों की याद में फुलाइच त्योहार मनाते हैं। ग्रामीणों का एक समूह पहाड़ के ऊपर चढ़ाई कर विशेष रूप से लाद्रा फूल लेकर आता है दूसरा समूह किसी और पहाड़ी पर जाकर ड्रम से संगीत बजाता है। मृत परिजनों को फूलों का हार, चावल और वाइन अर्पित कर उन्हें सम्मान देकर याद किया जाता है। इस दौरान यहां पर आसपास के गांव के लोग और पर्यटक भी आते हैं। यहां पर रंग-बिरंगी स्टॉल लगती हैं। कई तरह के पारंपरिक उत्सव जैसे लोक नृत्य और लोक गीत आदि की प्रस्तुति दी जाती है। इसके अलावा कुछ धार्मिक प्रस्तुति, मनोरंजक कार्य और खेल आदि का आयोजन भी किया जाता है। यह मेला किन्नौर के हर खण्ड में अलग अलग समय पर मनाया जाता है लेकिन कल्पा खण्ड में इस मेले का आगाज़ अक्तूबर के बाद शुरू हो जाता है, इस मशहूर मेले की मान्यता किन्नौऱ के देवी देवतों को लेकर है इस मेले में गाँव के लोग पहाड़ो पर जाकर शुद्ध जगह जो स्थानीय देवी देवतों की जगह होती है वहाँ जाकर ब्रह्म कमल जिसको किन्नौरी में डोंगर बोलते है उस फूल को उठाकर लाते है और शुद्ध रूप से लाकर स्थानीय देवी देवतों को अर्पित करते है और इस मेले का शुभारंभ हो जाता है। हर गाँव मे इस मेले को अपने अपने स्थानीय देवी देवतों की मान्यता अनुसार मनाया जाता है। इस मेले में गाँव के लोग पारम्परिक वेशभूषा में मंदिर में अपने संस्कृति अनुसार अपने इष्ट को धूप अर्पण करते है और कायनग जिसको हिंदी में मेला कहते है कायनग करते है और इस मेले को लगभग चार या पांच दिन मनाया जाता है। इस मेले की प्रसिद्धि पूरे हिमाचल में अपने आप में एक अलग झलक दिखाती है।

कैसे पहुंचे किन्नौर

किन्नौर पहुंचने के लिए दो प्रमुख स्थान रेकोंग पिओ और कल्पाद – शिमला, दिल्ली और चंडीगढ़ शहरों से जुड़ा हुआ है। सड़क मार्ग द्वारा कल्पा और रेकोंग पिओ पहुंचना सबसे बेहतर रहता है। इस जगह पर कोई रेलवे स्टेशन या एयरपोर्ट नहीं है। हालांकि ये जगहें शिमला से जुड़ी हुई हैं। इसका निकटकम हवाई अड्डा शिमला है। हरियाणा के काल्का से शिमला के लिए ट्रेन चलती है। ट्रेन के जरिए निकटतम स्टेशन काल्का है। कल्पा और रेकोंग पिओ से सड़क मार्ग से होते हुए किन्नौ्र पहुंचा जा सकता है। शिमला से कल्पा की दूरी 225 किमी और रेकोंग पिओ की दूरी लगभग 228 किमी है।

ट्रेन द्वारा: निकटतम रेलवे हरियाणा में काल्का है। फिर शिमला तक संकीर्ण गेज लाइन।
हवाई जहाज द्वारा: निकटतम एयर पोर्ट शिमला है जो लगभग है। 200 किमी
सड़क द्वारा: सड़क से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ शिमला राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 22 जिले के माध्यम से चलाता है। शिमला और रामपुर से बसें, टैक्सी और जीप उपलब्ध हैं

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