श्राद्ध मतलब श्रद्धा। यानि हमारे पूर्वजों के लिये हमारे दिल में सच्ची श्रद्धा होनी चाहिए। हम अपने पूर्वजों को सम्मानपूर्वक भोजन और अन्य सामग्रियां अर्पित करते हैं जिससे उनकी आत्माएं खुश रहती हैं। अगर पितर खुश हैं तो सब सही है, अगर पितर नाराज़ हो जाएं तो उस कुल का विनाश हो जाता है। इसलिये कुछ वक्त निकाल कर पितृ पक्ष में अपने पूर्वजों का श्राद्ध जरूर करें। चलिये आपको बताते हैं श्राद्धों में तर्पण विधि

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तर्पण विधि-

-सुबह जल्दी उठ कर स्नान करें
-पूजा स्थान और पितृ स्थान को पहले गाय को गोबर से लीप लें
-गंगाजल छिड़का कर स्थान को पवित्र कर लें
-आंगन में रंगोली बनाएं
-महिलाएं नहा धो कर पितरों के लिये पकवान बनाएं
-एक बर्तन में आधा पानी डालें, उसमें दूध, चीनी, शहद, जौ, घी और फूल डालें।
-पूरब दिशा की तरफ मुंह करके तीन दुबा ले कर अर्घ्य दें (देवताओं का ध्यान करें) ध्यान रहे कि पानी ज़मीन पर नहीं किसी बर्तन पर अर्पित करना है।
-उत्तर की तरफ मुंह कर के ऋषियों के नाम का अर्घ्य दें
-पानी में कुछ तिल डालिये और फिर दक्षिण की तरफ पितरों का ध्यान करके अर्घ्य दें
-बचे हुए पानी को फेंके नहीं, उससे पौधे की जड़ सींचें
-पितृ पक्ष के दौरान जितने दिन हो सके ये प्रक्रिया करनी चाहिए।


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