ब्रह्मा जी की नगरी पुष्कर में हर साल कार्तिक महीने में लगने वाला पुष्कर मेला देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी बहुत मशहूर है। विदेशी पर्यटक खास इस मेले के लिये छुट्टियां लेते हैं। पुष्कर पशु मेला एशिया में सबसे बड़ा पशु मेला है। यहां पर हर तरह के ऊंट, घोड़े, गाय, बकरियां और अन्य जानवर देखने को मिलते हैं। जानवर कई करतब दिखाते हैं। जानवरों के बीच कम्पीटिशन भी होते हैं। जानवरों की ताकत भी परखी जाती है और जो सबसे अव्वल रहे उसे ट्रॉफी भी दी जाती है। कई दिन चलने वाले इस मेले को अलग अलग भागों में बांटा गया है।
पशुओं की ख़रीद फ़रोख़्त
मेले के पहले पांच दिन पशुओं की ख़रीद फ़रोख़्त की जाती है। जानवरों के मालिक अपने मवेशियों की खासियतों को बताते हैं। बाद में मोल भाव होता है और अंत में बात पक्की की जाती है। जानवर का सौदा करने के बाद उसे अच्छे से सजाया जाता है।
ऊंटों के कम्पीटिशन
ऊंटों के बीच तरह तरह के गेम्स और कंपीटिशन करवाए जाते हैं। जिनमें वेटलिफ्टिंग और दौड़ अहम हैं। ऊंटों को बैठा कर उन पर भार लाद दिया जाता है। जो ऊंट सबसे ज्यादा भार उठा कर उठ खड़ा हो उसे इनाम दिया जाता है। वहीं ऊंटों की दौड़ भी करवाई जाती है। एक मैदान में सभी ऊंट सरपट दौड़ते हैं और जो तय वक्त में सबसे पहले पहुंचता है वो विजयी घोषित होता है।
ऊंटों की कैटवॉक
हाल ही में ऊंट और घोड़ों की कैटवॉक भी करवाई गई। सैलानियों को आकर्षित करने के लिये ये प्रतियोगिता शुरू की गई है। इसमें ऊंटों को पूरी तरह सजाया जाता है और फिर वो रैंप पर आराम से चलते हैं। पीछे से धीरे धीरे म्यूज़िक भी बजता है। सबसे बढ़िया वॉक करने वाले को इनाम दिया जाता है।
मटका रेस और दूध प्रतियोगिता
मटका रेस, मानव पिरामिंड, नृ्त्य प्रतियोगिता ये तो कुछ नाम हैं जो कि पुष्कर मेले में होते हैं। ऐसी सैंकड़ो प्रतियोगिताएं वहां करवाई जाती हैं। एक बार जो मेले में चला जाता है उसके लिये कुछ ना कुछ वहां होता ही है। राजस्थान का देसी सतोलिया मैच भी खेला जाता है।
मूंछ प्रतियोगिता
किसकी मूछ कितनी लंबी है और कितनी शानदार है इसकी भी प्रतियोगिता होती है। लोग कई मीटर लंबी मूछें लेकर आते हैं। कइयों का स्टाइल अलग अलग होता है तो कई अलग ढंग की। इस प्रतियोगिता में काफी संख्या में विदेशी भी शामिल होते हैं।
पारंपरिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम
मेले के अंतिम दिनो सांस्कृतिक कार्यक्रम होते हैं। स्थानीय नृत्य और गायन के रंगारंग कार्यक्रम होते हैं। दूर दूर से आए कलाकार अपनी प्रस्तुतियां देते हैं।
आस्था की डुबकी
पुष्कर मेला कार्तिक पूर्णिमा को शुरू होता है और पुष्कर की झील में नहाना, तीर्थ करने के समान माना गया है। इस दिन लाखों की संख्या में श्रद्धालु झील में डुबकी लगाकर, ब्रह्मा जी का आशीर्वाद लेकर मेले में खरीद फरोख्त करते हैं। पूरा दिन और शाम को पारंपरिक नृत्य, घूमर, गेर मांड और सपेरा दिखाए जाते हैं। शाम को आरती होती है। इस आरती को शाम के वक्त सुनना मन को काफी शांति देती है।
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