भारत का बिहार राज्य आपार संस्कृति, इतिहास और विरासतों का राज्य हैं। बिहार को यदि धार्मिक स्थल भी कहा जाए तो कम नहीं होगा। बिहार अपनी वेषभूषा, बोल-चाल के साथ अपने खान-पान इत्यादि के लिए तो प्रसिद्ध है ही किन्तु साथ ही बिहार अपनी कला-संस्कृतियों के लिए भी प्रचलित है। बिहार में मगध साम्राज्य का इतिहास काफी विस्तृत है। इसी साम्राज्य की राजधानी राजगीर बौद्ध तथा जैन धर्म के अनुयायियों के चरण पड़ने से पवित्र हो चुकी है। राजगीर को तीर्थ स्थलों की भांति पवित्र माना जाता है। इसी राजगीर में बिहार की झलक दुनिया को दिखलाने के लिए हर वर्ष बिहार पर्यटन विभाग की ओर से गीत-संगीत, संस्कृति और नृत्य से ओत-प्रोत युक्त राजगीर नृत्य महोत्सव मनाया जाता है। यह एक रंगीन उत्सव है। इस उत्सव में लोक संगीत, भक्ति गीत, ओपेरा, लोक नृत्य, बैले,शास्त्रीय नृत्य सहित अनेक रंगारंग कार्यक्रम प्रस्तुत किए जाते हैं। जिनके होने से राजगीर के साथ-साथ बिहार और पूरा देश इन संस्कृतियों और सभ्यताओं के रंग में रंग जाता है। राजगीर नृत्य महोत्सव ज्यादातर नवंबर के महीने में आयोजित किया जाता है जिसमें बड़ी संख्या में स्थानिय लोगो के साथ-साथ देश-विदेश से पर्यटक भी आते हैं। तीन दिनों तक चलने वाला यह राजगीर नृत्य महोत्सव इस वर्ष दिसंबर के माह में राजगीर में आयोजित किया जाएगा।

राजगीर नृत्य महोत्सव


कब शुरु हुआ था नृत्य महोत्सव

तीन दिवसीय राजगीर नृत्य महोत्सव की शुरुआत 1986 में हुई थी और तब से यह आयोजन हर वर्ष राजगीर में बिहार सरकार के सांस्कृतिक एवं बिहार पर्यटन विकास निगम के द्वारा आयोजित किया जाता है | राजगीर महोत्सव शास्त्रीय और लोक नृत्यों का जीवंत त्यौहार है। यह वो भूमि है जहां महात्मा बुद्ध ने ध्यान और प्रचार किया था। बिहार में सर्वप्रथम राजगीर महोत्सव का उद्घाटन 4 अप्रैल 1986 को तत्कालीन मुख्यमंत्री स्वर्गीय श्री बिन्देश्वरी दुबे जी ने किया था | तद्पश्चात बिहार सरकार के पर्यटन विभाग ने इस उत्सव को लागातार आयोजित किया, परन्तु किसी अज्ञात कारणों से 1989 के बाद इस महोत्सव का आयोजन नही हो सका | कुछ सालों के बाद 1994 में बिहार सरकार ने फिर से इस महोत्सव की शुरुआत की और तब से यह महोत्सव बिहार के वार्षिक कैलेंडर में वार्षिक कार्यक्रम के तरह आयोजित किया जाता है|

राजगीर नृत्य महोत्सव में क्या है खास


राजगीर नृत्य महोत्सव केवल एक कार्यक्रम नहीं बल्कि एक त्यौहार है। इस नृत्य महोत्सव के जरिए कई कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है जिसके द्वारा कई कलाकारों को अपनी प्रतिभा दिखाने का भी शुभ अवसर प्राप्त होता है। इस मौके पर पूरे राजगीर को नई नवेली दुल्हन की तरह सजा दिया जाता है, जो देश विदेश से आये पर्यटकों को काफी आकर्षित करता है। रंग-बिरंगे फूलों और सुंदर झांकियों से यह महोत्सव और सुंदर हो जाता है। राजगीर महोत्सव में कलाकार सोनल मान सिंह, हेमा मालिनी, सान्युकता पनग्राही, नलिनी-कमलिनी, स्वप्ना सुंदरी, शोवना नारायण, मधुकर आनंद, मधुमिता रॉय, अमिता दत्ता, मुकुंद नायक, माधवी मुद्गल , लीला सैमसन और आनंद शंकर जैसे उच्च कोटी के कलाकार शामिल होते हैं। बिहार के मुख्यमंत्री के साथ कई बड़े नेता, अभिनेता भी इस समारोह का हिस्सा बन स्वंय को गौरवान्तित महसूस करते हैं।

कई मेलों का मेला राजगीर महोत्सव

राजगीर महोत्सव में केवल नृत्य ही नहीं बल्कि कई मेले और कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है यहां बिहार का लज़ीज व्यंजन मेले, पुस्तक मेले, कृषि मेले के साथ सूचना एवं जनसंपर्क तथा अन्य विभागों की प्रदर्शनियां भी प्रदर्शित की जाती हैं। राजगीर महोत्सव का उद्देश्य अपनी ऐतिहासिक विरासत का संरक्षण एवं इसके जरिये पर्यटन को बढ़ावा देना होता है। इसी मूल भावना को ध्यान में रखते हुए इसकी तैयारियां की जाती हैं। राजगीर महोत्सव अपने नृत्य के लिए काफी प्रसिद्ध है। यहां विभिन्न संस्कृतियों को दिखाते हुए देश-विदेश के कलाकार नृत्य प्रस्तुत करते हैं। जिनका नृत्य दर्शकों का मन मोह कर उन्हें झूमने पर मजबूर कर देता है। राजगीर महोत्सव के दिन के कार्यक्रमों में जिला के स्थानीय नवोदित कलाकारों को मौका मिलता है। जिला स्तर स्थानीय कलाकारों का चयन किया जाता है। महोत्सव में आकर्षण का केंद्र काव्य गोष्ठी भी होती है जिसमें शहर के मशहूर कवि एवं शायर भाग लेते हैं। राजगीर महोत्सव का अन्य आकर्षणों में महिला महोत्सव, फैंसी ड्रेस प्रतियोगिता, दंगल, तांगा सज्जा एवं तांगा रेस, पालकी सज्जा, खेल प्रतियोगिता भी होती हैं। महोत्सव में भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण विभाग भी नालन्दा खंडहर एवं तेलहाड़ा पर आधारित चित्र प्रदर्शनी लगाता है। सूचना एवं जनसंपर्क विभाग द्वारा जागरूकता पूरक नुक्कड़ नाटक आयोजित करता है। राजगीर महोत्सव में बच्चे से लेकर बुजुर्ग तक के लिए कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। जिनका एकमात्र लक्ष्य बिहार की संस्कृति से पूरे विश्व को रुबरु कराना होता है।

Forthcoming Festivals