आज के दौर में राखी सिर्फ बहन और भाई का त्योहार बन चुका है, लेकिन अगर इतिहास के पन्ने मोड़ें तो पता चलता है कि रक्षाबंधन भाई बहन ही नहीं और भी लोग मनाते थे। हमेशा युद्ध पर जाने से पहले राजा के हाथ में रक्षा धागा बांधा जाता था। ये धागा मां, बेटी या पत्नी बांधती थी। जो लोग ऋषियों के पास आशीर्वाद लेने जाते थे। ऋषि उनकी कलाई पर रक्षा धागा बांधते थे। ये डोर दोस्तों और रिश्तेदारों के बीच भी बांधी जा सकती है। अगर हम अंग्रेजों को देखें तो वो भी फ्रेंडशिप डे पर एक दूसरे को बैंड ही पहनाते हैं। मान्यता पवित्र धागे की है। कहा जाता है कि ये धागा जिसने भी पहना हो उसे बुरी शक्तियां या विपत्तियां छू भी नहीं सकतीं।
आज के दौर में राखी का महत्व
रक्षाबंधन का पौराणिक महत्व तो हमें पता ही है, कि ये रक्षा करने वाला धागा कई विपत्तियों से भी बचाता है, लेकिन आज के दौर में राखी का त्योहार रिश्तों की गर्माहट को बरकरार रखने वाला हो गया है। शादी से पहले तो बहन भाई एक छत के नीचे रहते हैं। पर जब शादी हो जाती है तो बहन किसी दूसरी जगह और भाई कहीं और चला जाता है। सब अपने अपने परिवार के साथ व्यस्त हो जाते हैं। शादी-ब्याह और किसी कार्यक्रम में ही मिलना जुलना होता है। ऐसे में रक्षाबंधन ही है जो भाई बहनों को जोड़े रखता है। रक्षाबंधन के दिन दोनो मिलते हैं। कई बाते होती हैं। अगर कोई गिला शिकवा है तो वो भी दूर हो जाता है। सारा परिवार इकट्ठा होता है और आज के दौर में परिवार अगर इकट्ठा होकर खुश है तो वही सबसे बड़ी खुशी है।
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