भारत में हिंदू धर्म की बहुत मान्यता है। यहां हिन्दुओं से जुड़े कई देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना की जाती है। इनसे जुड़े कई त्यौहार एवं मेले आयोजित किए जाते हैं। हिंदू धर्म के प्रत्येक त्यौहार के पीछे किसी ना किसी देवी-देवता से जुड़ा इतिहास होता है जो उस मेले एवं त्यौहार की महत्वता को प्रदर्शित करता है। हिन्दुओं के ईष्ट देवता भगवान राम से जुड़े कई त्यौहार भारतवर्ष में मनाए जाते हैं। भगवान राम को सृष्टि के संचालन कर्ता भगवान विष्णु का सांतवां रुप माना जाता है जिन्होंने त्रैता युग में राम के रुप में जन्म लिया। भगवान राम से जुड़े रामनवमी, दशहरा, दीपावली एवं रामलीला का उत्सव बहुत हर्षोल्लास के साथ पूरे देश में मनाया जाता है। भगवान राम से जुडा एक महत्वपूर्ण उत्सव राम बारात रामपुर उत्तर प्रदेश के महत्वपूर्ण त्यौहारों में से एक है, यह त्यौहार मुख्य रूप से आगरा शहर में मनाया जाता है। त्योहार भगवान राम के विवाह का जश्न के अवसर पर मनाया जाता है है। शहर में रामलीला समारोह के दौरान श्री राम के विवाह को जुलूस द्वारा चिह्नित किया जाता है। अयोध्या के राजकुमार भगवान राम ने जनकपुरी जो बिहार के मिथिला में स्थित है वहां जाकर देवी सीता से स्वंयवर किया था। उनकी बारात के रुप में आगरा में राम बारात का आयोजन बहुत ही भव्य ढंग से किया जाता है। यह आयोजन अक्टूर के मध्य में दशहरे स पहले किया जाता है। हर साल शहर की एक नई जगह जनकपुरी, दुल्हन की जगह के रूप में चुनी जाती है, जिसे जुलूस का स्वागत करने के लिए शाही शादी के रुप में सजाया जाता है। जुलूस में स्थानीय लोगों की विभिन्न झांकियां देखने को मिलती है। राम, भरत, लक्ष्मण और शत्रुध्न के रुप में कलाकार भगवा राम सहित उनके भाई बनते हैं और राम बारात में शामिल होते हैं भव्य जुलूस शहर के विभिन्न हिस्सों से गुज़रता है। इस भव्य बारात को देखने के लिए स्थानिय लोगों के साथ-साथ दूर-दूर से पर्यटक भी शामिल होते हैं और भगवान राम के इस अद्भुद किस्से का साक्षी बनते हैं।
राम बारात

राम बारात उत्सव

आगरा में भव्य रामलीला का आयोजन 30 दिन तक चलता है। प्रभु राम की बारात और जनकपुरी इस आयोजन को भव्यता और दिव्यता प्रदान करते हैं। इस दौरान पांच दिनों तक शहर इस महोत्सव में रम जाता है। उत्तर भारत की सबसे प्रमुख रामबारात के नाम से ख्यात आगरा की श्रीराम बारात को उत्तर प्रदेश की सबसे बड़ी राम बारात का खिताब भी मिल चुका है। राम बारात में राम और उनके भाइयों को पहले हाथी पर लाया जाता वही अब रथ का इस्तेमाल किया जाने लगा है। जनकपुरी की मेजबानी शहर के एक क्षेत्र को दी जाती है, उस जगह पर राजा जनक के लिए विशाल महल बनता है। तीन दिन तक वह क्षेत्र 'जनकपुरी' कहलाता है। इस दौरान पूरे इलाके की भव्य सजावट की जाती है, जिसे देखने के लिए रोजाना लाखों लोग आते हैं। रामलीला की एक विशेषता यह भी होती है कि इनमें कथानक और भाव तो रामायण के ही होते हैं किन्तु बोली, भाषा, पहनावा और अन्य क्रियाकलापों पर विभिन्न क्षेत्रों में उनकी स्पष्ट सांस्कृतिक छाप होती है। किवदंति है कि त्रेता युग में श्री रामचंद्र जी के वनगमनोपरांत अयोध्यावासियों ने चौदह वर्ष की वियोगावधि राम की बाल लीलाओं का अभिनय कर बिताई थी। तभी से इस परंपरा का प्रचलन हुआ। सीता-राम के विवाह को यादगार बनाने के लिए जनक महल को रंग-बिरंगी लाइटों से सजाया जाता है जो उसकी खूबसूरती में चार चांद लगा देते हैं। रामलीला के मंचन में सीता माता और भगवान राम के विवाह के बाद मनकामेश्वर मंदिर से राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुध्न को हाथी-घोड़ों पर बैठाकर भव्य बारात निकाली जाती है। बारात के साथ बैंड-बाजा, तरह-तरह की झांकियां और लाखों लोगों की भीड़ होती है। -इस पूरे मंचन में क्षेत्र के ही लोगों को में से किसी को जनक और दशरथ का रोल निभाने का मौका मिलता है। इसके लिए बोली भी लगती है। इन पैसों का इस्तेमाल जनकपुरी बनाने में किया जाता है। यही नहीं, जिस क्षेत्र में महोत्सव का आयोजन किया जाता है, वहां प्रशासन द्वारा विकास कार्य भी कराया जाता है। सिर पर रत्न जड़ित मुकुट, सूर्य जैसा तेज, अधरों पर मनमोहक मुस्कान के लिए चारों भाइयों के दर्शन कर बारात में शामिल श्रद्धालु निहाल हो जाते हैं। पूरे यात्रा मार्ग में कई जगह-जगह पुष्प वर्षा और आरती कर बारात का स्वागत किया जाता है। राम बारात उत्सव में कई लोक कलाकार भी शामिल होते हैं। राम बारात में हनुमान की मंडली का भी जुलुस निकाला जाता है। बाल हनुमान, किशोर हनुमान, युवा हनुमान और वृद्ध हनुमान गदा लिए नाचते हुए चलते हैं। इसके साथ ही शिव-पार्वती की झांकी भी निकाली जाती है। राम बारात उत्सव भगवाम राम की खुशी में खुश होने का एक शुभ अवसर है। मर्यादा पुरुषोत्तम राम का स्वरूप दुनिया भर में आज भी प्रासंगिक है। उनके जैसा शिष्य, पुत्र, भाई, एक पत्नीव्रता पति, मित्र और अनेक मानवीय रिश्तों को पूरी गरिमा के साथ निभाने वाला कोई दूसरा चरित्र दुनिया के किसी और धर्म अथवा आख्यान में नही मिलता। दुनिया तमाम देशों में भी रामलीला होती है। इंडोनेशिया, मलेशिया और सिंगापुर जैसे मुस्लिम धर्म प्रधान देशों में भी रामलीलाएं सभ्यता और संस्कृति का पर्याय बनी हुई हैं। राम के चरित्र के प्रति आस्था भारतीय जनमानस में गहरे तक बैठी हुई है।

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