हिन्दू मान्यताओं में 36 कोटि हिन्दू देवी देवी देवताओं को बताया गया है उनकी पूजा की जाती है। हिन्दू रीति- रिवाजो के अनुसार प्रत्येक दिन किसी ना किसी देवी-देवताओं या व्रत आदि से जुड़ा होता है। इन्हीं व्रतों में से एक है सकट चौथ का व्रत। सकट चौथ का व्रत हिन्दू पंचाग के अनुसार माघ माह के कृष्ण पक्ष के चौथे दिन किया जाता है। सकट चौथ को संकष्टी चतुर्थी और तिलकुटा चौथ के नाम से भी जाना जाता है। इस व्रत में भगवान श्री गणेश और चंद्रमा की पूजा की जाती है। यह व्रत स्त्रियां अपने संतान की दीर्घायु और सफलता के लिये करती है। इस व्रत के प्रभाव से संतान को ऋद्धि व सिद्धि की प्राप्ति होती है, और उनके जीवन की सभी विघ्न, बाधायें गणेश जी दूर कर देते हैं। इस दिन स्त्रियां निर्जला व्रत रखती है और शाम को गणेश पूजन तथा चंद्रमा को अर्घ्य देने बाद ही जल ग्रहण करती हैं। यह व्रत मुख्य रूप से उत्तर भारत में मनाया जाता है।

सकट चौथ व्रत करने की विधि

सकट चौथ व्रत मूल रुप से श्री गणेश का व्रत होता है। इसे साल का पहला व्रत भी कहते हैं। इस दिन, विवाहित महिलाएं सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि क्रियाओं से निवृत होकर पूजा की जगह साफ कर वहां श्री गणेश की स्थापना करती हैं। इसके बाद वो नए साफ-सुथरे कपड़े पहन कर पूजा करने के साथ 108 बार ‘ओम श्री गणेशाय नम:’ मंत्र का जाप करती हैं और पूरे दिन उपवास करने का संकल्प लेती हैं । हालांकि, इस व्रत में पानी, दूध, चाय और फलों को खाने-पीने की अनुमति होती है। शाम को पूजा के लिए एक मंडप सजाया जाता है जिसमें गणेश जी की मूर्ति को रखा जाता है। मूर्ति को फूल और दूब (घास) से सजाया जाता है। जिसके बाद तिल से बनी मिठाई यानि तिलकुट और गुड़ से श्री गणेश को भोग लगाया जाता है। इसके बाद, धूप, दीप, तेल, आदि नैवेध से गणेश जी की पूजा की जाती है। सकट चौथ की कथा इस दिन अवश्य सुनने का प्रावधान है। साथ ही पूजा स्थान पर जल से भरा एक कलश रखा जाता है जिसे शाम को चांद निकलने पर उसे अर्ध्य दिया जाता है। यदि चांद ना दिखे तो भी चांद को समयानुसार अर्ध्य देकर और श्री गणेश की आरती कर पूजा पूरी की जाती है। है। कुछ लोग पूरी रात गणेश मूर्ति के सामने पूजा के प्रसाद को रखते हैं और अगली सुबह परिवार के सदस्यों के साथ उसे बांटते हैं। प्रसाद के रुप में गुड़ और तिल से बना तिलकुट और मोदक इत्यादि को भोग लगाकर वितरित किया जाता है। विवाहित महिलाएं अपने बच्चों के स्वास्थ्य, धन और कल्याण के लिए प्रार्थना करती हैं। सकट चौथ का उपवास बहुत शुभ माना जाता है। लोग इस दिन उपवास इसलिए करते हैं ताकि उनके बच्चों के जीवन से बाधाओं को हटायी जा सके क्योंकि भगवान श्री गणेश को विध्नहर्ता भी कहा जाता है वो अपने भक्तों के सभी दुख-दर्दों का निवारण कर उसे हर लेते हैं।

सकट चौथ

सकट चौथ पर तिलकुट का महत्व

सकट चौथ यानि तिलकुट चौथ में तिलकुट का बड़ा महत्व होता है। इस दिन भोग लगाए जाने वाले गुड़ और तिल से बनी चीजों में काफी उर्जा होती है। तिल के बीज प्रोटीन, कैल्शियम, फॉस्फोरस और मैग्नीशियम जैसे कई मूल्यवान तत्वों का एक बड़ा स्रोत होते है। काले तिल के बीज भी बहुत फायदेमंद होते हैं। वहीं गुड़ आयरन और कैल्शियम का एक बड़ा स्रोत होता है। दोनों शरीर में गर्मी प्रदान करते हैं। साथ ही हमारे शरीर में रोग प्रतिरक्षा में वृद्धि कर ठंडे वातावरण के बुरे प्रभाव से रोकते है। सकट चौथ के व्रत के समय अधिक ठंड होती है इसलिए भी तिलकुट का महत्व इस दिन और बढ जाता है। इसी तरह दूब (घास) को शरीर के डिटॉक्सिफिकेशन के लिए भी अच्छा माना जाती है। एक स्वस्थ मन स्वस्थ शरीर में रहता है। एक स्वस्थ दिमाग के साथ कोई भी व्यक्ति जीवन की सभी बाधाओं और विपदाओं को दूर कर सकता है। भगवान गणेश को तिलकुट और दूब चढ़ाने का यही वास्तिवक अर्थ है।

सकट चौथ व्रत की महिमा और कथा

सकट चौथ व्रत रखने की अत्यंत महिमा होती है। इस व्रत में पूरे दिन उपवास रखा जाता है। ऐसा माना जाता है कि इश दिन उपवास रखने से भगवान श्रीगणेश सभी बाधाओं को दूर कर देतें हैं साथ ही वह अपने भक्तों को अच्छा स्वास्थ्य और धन,बल प्रदान करते हैं। सकट चौथ व्रत करने के पीछे कई कहानियां छिपी है लोगों की मान्यतानुसार एक गांव में एक परिवार रहता था। जिसमें 2 भाई और उनकी पत्नियां एक साथ रहती थीं। बड़ा भाई अमीर था और छोटा भाई गरीब। बड़े भाई की पत्नी लालची और बहुत क्रूर थी, लेकिन छोटे भाई की पत्नी गणेश की भक्त थी। एक बार सकट चौथ के दिन छोटे भाई की पत्नी ने सकट चौथ का व्रत कर गणेश जी की पूजा की लेकिन उसके पास प्रसाद के रुप में चढ़ाने के लिए कुछ नहीं था। तब उसने अपनी जेठानी से कुछ खाने को पूछा तो उस लालची और क्रूर महिला ने उसका अपमान कर कुछ भी खाने को नहीं दिया। इससे दुखित होकर छोटे भाई की बीवी बिना कुछ खाए ही सो गई। तभी रात में भगवान गणेश ने उसके घर का का दौरा किया और उसकी पूजा से प्रसन्न होकर उसे बहुत सारे सोने और हीरे के आभूषणों से भर कर आशीर्वाद दिया। जब अमीर भाई की लालची पत्नी ने यह देखा, तो उसने भी उसी प्रक्रिया को दोहराया और गणेश जी को आमंत्रित किया। लेकिन क्रोधित गणेश जी उससे खुश नहीं हुए और उसे शाप दे दिया। तब लालची महिला को अपनी गलती का एहसास हुआ। तब से लोगों ने सकट चौथ पर भगवान गणेश की पूजा करना शुरू किया ताकि वे उनसे आशीर्वाद प्राप्त कर सकें। सकट चौथ का व्रत पूरी लगन ईमानदारी से करने वाले भक्त की सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती है और भगवान गणेश उसे अन्न-धन,बल देकर ओत-प्रोत कर देते हैं।

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