क्यों मनाते है 'शब-ए-बारात'
शब-ए-बारात के दिन मुस्लिम समुदाय अपने पूर्वजों को याद करते हैं। वो अपने पवित्र ग्रंथ कुरान के समक्ष अपने गुनाहों की माफी मांगते हैं। वे सुबह जल्दी कब्रिस्तान जाते हैं और फूलों की चादर अपने पूर्वजों की कब्र पर चढाते हैं। अपने मरे हुए सगे संबधियोंकी आत्माओं की शांति के लिए फतेहा पढ़ते हैं। शबान महीने की 15वीं तारीख की यह रात सिर्फ-और-सिर्फ इबादत की रात होती है। यह वह रात मानी जाती है, जब अल्लाहताला की अपनी बंदों की तरफ खास तवज्जो होती है। बंदों के पास यह एक मौका होता है, अल्लाह से अपने गुनाहों की माफी मांगने का और उन तमाम लोगों के भी गुनाह माफ कर उन्हें जन्नत में जगह देने की दुआ करने का जो दुनिया से गुजर गए हैं। यही वजह कि इस रात लोग रात-रात पर जाग कर इबादत करते हैं और दुआएं मांगते हैं। मुस्लिम समुदायों का मानना है कि अल्लाह बेहद मेहरबान और दयालु है, इसलिए वह अपने बंदों की इबाबत को स्वीकारता है और उन्हें उनके गुनाहों की माफी देता है। लेकिन इस रात भी दो लोगों के गुनाहों की माफी नहीं होती है। एक उनको जो लोगों से दुश्मनी रखते हैं और दूसरी उनको जिन्होंने किसी का कत्ल किया होता है। कई उलेमा तो यहां तक कहते हैं कि इस एक रात की इबादत एक हजार महीने की इबादत के बराबर होती है। कई मुस्लिम समुदाय शब-ए-बारात के दिन रोजा भी रखते हैं। कई उलेमाओं का मानना है कि 15 तारीख को रखे रोजे का बहुत पुण्य मिलता है। लेकिन कुछ उलेमा कहते हैं कि यह जरूरी नहीं कि 15 तारीख को ही रोजा रखा जाए। शबान महीने के बाकी आखिरी 15 दिन रोजा रखने से बचना चाहिए ताकि रमजान महीने में पूरे रोजे रखे जा सकें। मुस्लिम मान्यता है कि शब-ए-बारात के दिन पैगंबर प्रत्येक घर का दौरा करते है और इस रात दुख-दर्द से पीड़ित मनुष्यों के दुखों का निवारण करते हैं। शब-ए-बरत से जुड़ी पौराणिक कथा के अनुसार जन्नत में एक विशेष पेड़ है जिसमें सभी मानव जातियों के नाम उसकी हरेक पत्तियों पर लिखे हुए हैं और यदि किसी व्यक्ति के नाम का एक पत्ता इस रात गिरता है, तो यह निश्चित रुप से माना जाता है कि वह इसी वर्ष मृत्यु को प्राप्त होगा।'शब-ए-बारात' समारोह
शब-ए-बारात के दिन सभी मस्जिदों क साफ कर बल्ब, रंगीन कागज, लाइटो इत्यादि से सजाया जाता है। कब्रिस्तानों में साफ-सफाई कर खास सजावट की जाती है। रात में मनाए जाने वाले शब-ए-बारात के त्योहार पर कब्रिस्तानों में भीड़ का आलम ही कुछ और होता है। इस रात को पूरी तरह इबादत में गुजारने की परंपरा है। मुस्लिम धर्मावलंबियों के प्रमुख पर्व शब-ए-बारात के मौके पर मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में शानदार सजावट होती है तथा जल्से का इंतजाम किया जाता है। जगह-जगह शब-ए बारात के दिन रात भर जग कर कव्वाली, और संगीत के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। रात में मुस्लिम इलाकों में शब-ए-बारात की भरपूर रौनक होती है। शब-ए-बारात की रात शहर में कई स्थानों पर जलसों का आयोजन किया जाता है। मस्जिद भक्तों के आने से पूरी तरह भर जाते हैं वे प्रार्थना करते थे। हजारों मोमबत्तियां और बिजली के बल्बों के तार घरों और सड़कों को उजागर करते हैं। चारों तरफ चमचमाती रौशनी होती है। जो एक सुखद माहौल का अनुभव कराती है। मस्जिदों में पवित्र कुरान का उच्चारण किया जाता है और शब-ए-बारात की रात के दौरान आध्यात्मिक गीत गाए जाते हैं। घरों में मुंह में पानी ला देने वाले स्वादिष्ट पकवान बनाए जाते हैं। सेवाईयां, खीर एवं हलुआ विशेष रुप से बनाया जाता है। हलुवे को गरीबों और जरुरमंदो के बीच वितरित भी किया जाता है। लोग अपने प्रियजनों के नाम से उनकी आत्मा की शांति के लिए कपड़े, अनाज, पैसे इत्यादि का दान करते हैं। उनसे अपने पापों और बुरे कर्मों के लिए क्षमा प्रार्थना करते है। मुस्लिम समुदाय इस दिन अपने अल्लाह और पूर्वजों से अच्छा जीवन जीने के मनोकामनांए करते हैं।To read this Article in English Click here