मेले की ख़ासियत
इस मेले में लोग रंग बिरंगे कपड़े पहन कर, बड़े बड़े झंडे उठाकर अपने ऊंटों के साथ पैदल आते हैं। महिलाएं शामलाजी के भजन गाती हैं। सबसे पहले तो मेश्वो नदी में स्नान करके खुद को शुद्ध किया जाता है और फिर मंदिर में दर्शन कर पूजा अर्चना की जाती है। दर्शन करने के बाद मेले का लुत्फ उठाया जाता है। मेले में हर साल गुजरात और राजस्थान से करीब 2 लाख श्रद्धालु आते हैं। शामलाजी मेला व्यापार की दृष्टी से भी काफी अहम है। यहां पर चांदी के गहने, लोहे का सामान, कपड़े और लकड़ी का काफी सामान बेचा जाता है।मंदिर की कथा
शामलाजी मंदिर बनने के पीछे कई कथाएं हैं उनमें से एक है ब्रह्मा जी कि, एक बार भगवान ब्रह्मा धरती पर आए और तीर्थ स्थान की खोज करने लगे। काफी देर तक ढूंढने के बाद वो शामलाजी आए। शामलाजी में उन्हें काफी शांति मिली और उन्होंने कई साल यहां तपस्या की।शिव भगवान ने उन्हें यहां पर यज्ञ करने को कहा। यज्ञ की शुरूआत के वक्त भगवान विष्णु ने खुद को यहां शामलाजी के तौर पर स्थित किया।
कैसे पहुंचें शामलाजी मंदिर
शामलाजी मंदिर गुजरात के साबरकांठा जिले में है। ये जिला राजस्थान और गुजरात के बॉर्डर पर पड़ता है। अगर आप अहमदाबाद से जाना चाहें तो वहां से इसकी दूरी 122 किलोमीटर है।शामलाजी मंदिर मेला और पूजा के वीडियो
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