हिंदू धर्म में सूर्य को देव का स्थान मिला है क्योंकि सूर्य से ही इस पृथ्वी पर जीवन है। सूर्य का अर्थ होता है सर्व प्रेरक अर्थात सर्व कल्याणकारी ।यजुर्वेद ने सूर्य को भगवान का नेत्र माना है।ब्रह्मवैर्वत पुराण तो सूर्य को परमात्मा स्वरूप मानता है। ज्योतिष शास्त्र में सूर्य को आत्मा का दर्जा मिला है। ग्रह बृहस्पति को सूर्य का परम मित्र माना गया है,गुरु जीवन है तो सूर्य आत्मा।

सूर्य ग्रहण हो या चंद्र ग्रहण,खगोलविदों के लिये दोनों ही आकर्षण का केंद्र होते हैं। रही बात आम लोगों की, तो कुछ लोग इसे भौगोलिक घटना से जोड़ते हैं तो वहीं तमाम लोग ऐसे हैं, जो इसे धर्म-कर्म से जुुड़ी घटना मानते हैं।

कहां-कहां दिखेगा ग्रहण: ये एक आंशिक ग्रहण होगा जो कि भारत, दक्षिण / पश्चिम अफ्रीका, दक्षिण अमेरिका, प्रशांत, अटलांटिक, हिंद महासागर, अंटार्कटिका की ज्यादातर हिस्सों में दिखेगा।

 सूर्य के बारे में कुछ रोचक बातें:

-सूर्य धरती पर ऊर्जा का श्रोत है और सौरमंडल के केन्द्र में स्थित एक तारा है। इसी तारे के चारों ओर पृथ्वी चक्कर लगाती है।
-सूर्य हमारे सौर मंडल का सबसे बड़ा पिंड है और उसका व्यास लगभग 13 लाख 90 हजार किलोमीटर है।
-सूर्य की बाहरी सतह का निर्माण हाइड्रोजन, हिलियम,ऑक्सीजन, सिलिकन, सल्फर, मैग्निशियम, कार्बन, नियोन, कैल्सियम, क्रोमियम तत्वों से होता है।
-वैज्ञानिकों के मुताबिक सूरज आकाश गंगा के केन्द्र की 251 किलोमीटर प्रति सेकेंड से परिक्रमा करता है।
-इस परिक्रमा में 25 करोड़ वर्ष लगते हैं इस कारण इसे एक निहारिका वर्ष भी कहते हैं।

सूर्यग्रहण का असर

देश की राजनीति व समाज में बड़ा परिवर्तन नहीं होगा| ज्योतिषों के अनुसार इस बार सूर्य और चंद्र ग्रहण का प्रभाव भारत में नहीं होने से यहां की राजनैतिक स्थिति में कोई बहुत बड़ा परिवर्तन नहीं होगा। देश की सामाजिक स्थिति में भी कोई उथल पुथल नहीं होगी। जन जीवन सामान्य रहेगा। शेयर बाजार सामान्य रहेगा| सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण नहीं पड़ने से शेयर बाजार सामान्य ही रहेगा। इसमें घट-बढ़ का व्यापार करने वालों के लिए कोई फायदा नहीं रहेगा। बाजार में एकाएक बहुत ज्यादा घट बढ़ की स्थिति भी नहीं बनेगी।

ग्रहण के नाम पर गर्भवती महिलाएं और उनका परिवार चिंतित रहता है, क्या है इसका कारण यह है कि दरअसल पुराणों की मान्यता के मुताबिक राहु चंद्रमा को और केतु सूर्य को ग्रसता है। ये दोनों ही छाया की संतान हैं। चंद्रमा और सूर्य की छाया के साथ-साथ चलते हैं। चंद्र ग्रहण से इंसान की सोचने की शक्ति कम होती है जबकि सूर्य ग्रहण के समय आंखों और लीवर की परेशानियां होती है इसलिए घर के बड़े-बूढ़े लोग गर्भवती स्त्री को सूर्यग्रहण को नहीं देखने की सलाह देते हैं, क्योंकि उसके दुष्प्रभाव से शिशु विकलांग बन सकता है।

कहा जाता है कि जब अंतरिक्ष में ये घटना होती है तो उसमें काफी ऊर्जा का हनन होता है, ये ऊर्जा पेट में पल रहे बच्चे के लिए नुकसानदायक होती है, जिसकी वजह से गर्भपात की संभावना बढ़ जाती है। इस कारण प्रेग्नेंट वोमेन को सूर्यग्रहण से दूर रहने की सलाह दी जाती है। गोबर और तुलसी ठंडक के श्रोत हैं,इसलिए अक्सर घर की बूढ़ी औरतें सूर्यग्रहण के दौरान गर्भवती महिलाओं के पेट पर गोबर और तुलसी का लेप लगा देती हैं जिससे होने वाले बच्चे के शरीर को ठंडक मिले। लेकिन वैज्ञानिक और डॉक्टर्स इन बातों से बिल्कुल सरोकार नहीं रखते हैं, उनका कहना है कि ये एक खगोलिय घटना है जिसका असर ब्रह्मांड पर आंशिक रूप से हो सकता है लेकिन व्यक्ति विशेष पर इन बातों का असर नहीं होता है, जो नियम-कानून बताये गये हैं वो लोगों ने अपने हिसाब से बना लिये हैं।


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