शिक्षक दिवस कविताएं
गुमनामी के अंधेरे में थापहचान बना दिया
दुनिया के गम से मुझे
अनजान बना दिया
उनकी ऐसी कृपा हुई
गुरू ने मुझे एक अच्छा
इंसान बना दिया
गुरु का महत्व कभी होगा ना कम,
भले कर ले कितनी भी उन्नति हम,
वैसे तो है इंटरनेट पे हर प्रकार का ज्ञान,
पर अच्छे बुरे की नहीं है उसे पहचान...
तुमने सिखाया ऊँगली पकड़ कर चलना,
तुमने सिखाया कैसे गिरने के बाद सम्भलना,
तुम्हारी वजह से आज हम पहुंचे है आज इस मुकाम पे,
आज शिक्षक दिवस के दिन करते है आभार सलाम से …
हुये अर्जुन से योद्धा यहीं , जिनके गुरू थे द्रोण |
लक्ष्य भेद सीखा पार्थ ने, व व्यूह भेद हर कोण ||
महापुरुष गुरू कृपा से ,हुए जगत विख्यात |
प्रताप,परशु व भीश्म का ,नहीं पौरुष किसको ज्ञात ||
शिक्षक दिवस शिक्षकों को,सदा रहा प्रेरणाश्रोत |
शिक्षक शिष्य के मध्य नहीं, जाती धर्म व गोत्र ||
शिक्षक दिवस में सब शिक्षक ,करके निज ह्रदय स्वतंत्र |
शिष्यों को दें शुभकामनाएं , व निज उन्नति के मंत्र ||
राम लखन मुनि साथ मे, तब विद्या पाई हाल ।
मुनि मख की रक्षा करी ,भये राक्षश कुल के काल॥
यहीं वह व्रज की भूमि है ,जहं जन्मे थे व्रजराज ।
व्रज को देकर बाल सुख ,किये सुरों हित काज ॥
वह भी गुरुकुल में पढे ,की गुरू की मरजाद ।
विप्र सुदामा के साथ मे,गुरु मां से ले परसाद॥
हुये अर्जुन से योद्धा यहीं , जिनके गुरू थे द्रोण |
गुरु तेरे ज्ञान से बना हूँ मै विद्वान,
तेरे आदर्शो पर चल कर बनना है महान,
मेरे अँधेरे जीवन में ज्ञान की ज्योत जलाई,
सिखलाया आपने मुझे नेकी और भलाई,
बताया आपने ही सफलता कैसे पाना है,
कितना ही ऊँचा चला जा, अभिमान कभी न करना है,
गुरु तेरे चरणों की धुल माथे पर सजाना है,
तेरे दिए उपदेशो को जग में फैलाना है,
कमजोरो-दुखियो को नेकी का करके दान,
गुरु तेरे ज्ञान से बना हूँ मै विद्वान,
तेरे आदर्शो पर चलके बनना है महान।
शिक्षक दिवस कविताओं का वीडियो
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