नागालैंड का नाम आते ही दिमाग में सबसे पहले आती है, हरियाली फिर आदिवासियों के रंग बिरंगे परिधान और उनके नृत्य से परिपूर्ण त्योहार। यूं तो देश के हर कोने में फसल कटाई पर कोई ना कोई त्योहार मनता ही है। नागालैंड में भी “तोखू इमोंग” मनाया जाता है। लोथा आदिवासी इसे खासकर बड़े चाव से मनाते हैं। ये त्योहार 9 दिन तक मनाया जाता है। 9 दिन तक हर्षोल्लास के साथ कई पकवान बनाए जाते हैं, क्योंकि यही वक्त होता है जब वो कई महीनों की फसल की रखवाली के बाद उसे काटते हैं।

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कैसे मनाया जाता है तोखू इमोंग

तोखू इमोंग 9 दिन तक चलता है। अगर कोई उस गांव में इसके शुरू होने के वक्त मौजूद होता है तो उसे 9 दिन वहीं रहने को कहा जाता है। फसल कट चुकी होती है। भगवान का धन्यवाद भी किया जा चुका होता है। हर कोई अपनी ताजी कटी हुई धान से कुछ हिस्सा दान देते हैं और ये कहा जाता है कि दान देने में कंजूसी की तो अगले साल उसकी फसल बर्बाद हो जाएगी। पुराने चावलों से बीयर बनाई जाती है जो कि इस दौरान पी जाती है। तोखू इमोंग को देखना और वहां के परस्पर प्रेम को महसूस करना  वाकई बहुत सुकून देने वाला होता है। शहर की भाग दौड़ से दूर पहाड़ियों के बीच, बिना किसी परवाह के सभी लोग खाते पीते और नाचते गाते हैं। उन्हे देख कर लगता है कि वो लोग अपनी पूरी जिंदगी खुलकर मजे से जी रहे हैं।

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