भले ही आपने पूरे देश की परंपराएं और त्योहारों के बारे में जान लिया हो, लेकिन “नागालैंड” के आदिवासी त्योहार नहीं देखे तो हमेशा कुछ अधूरा ही लगेगा। बर्मा, अरुणाचल, मणिपुर और असम से घिरा नागालैंड अपनी आदिवासी परंपराओं को आज भी सहेज कर रखता है। अक्टूबर महीने में हर साल यहां एक बड़ा त्योहार मनाया जाता है, जिसका नाम है “त्सोकुम”। एक हफ्ता चलने वाले इस त्योहार को मुख्यत: खियामणियूंगम आदिवासी मनाते हैं। हर्ष और उल्लास के साथ मनाए जाने वाले इस उत्सव में नए नए पकवान, लोक गीत और लोक नृत्य देखने का अलग ही मजा है।त्सोकुम फसल के पकने पर मनाया जाता है। फसल पककर तैयार होती है। किसानों की मेहनत का फल सामने होता है और अब कटाई शुरू हो जाती है। आदिवासी इस मौके पर अपने देवता को धन्यवाद करते हैं।
कैसे मनाया जाता है?
7 दिन तक चलने वाले त्सोकुम में लोग नए नए कपड़े डाल कर पहले तो अपने इष्ट देवता और ग्राम देवता की पूजा अर्चना करते हैं। भगवान का धन्यवाद करते हैं। अपने लिये और अपने परिवार के लिये मन्नतें मांगी जाती हैं।
उत्सव शुरू करने से पहले जानवरों की बलि दी जाती है। दूसरे दिन सभी लोग जमकर खाते पीते हैं औऱ गांव के टूटे हुए रोड या पुल की मरम्मत करते हैं।
कहां मनाया जाता है?
त्सोकुम नागालैंड के तुएनसांग जिले में खियामणियूंगम आदिवासी इस त्योहार को मनाते हैं। ये हर साल अक्टूबर महीने के पहले हफ्ते में आता है।
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