तुलसी जी विष्णु भगवान को बहुत प्रिय हैं। जिस घर में तुलसी जी की पूजा होती है उस घर में कभी भी धन धान्य की कमी नहीं रहती और हमेशा झोली खुशियों से भरी रहती हैं। तुलसी विवाह कार्तिक एकादशी के अगले दिन मनाई जाती है। माना जाता है कि इससे पहले सभी देवी देवता सोए होते हैं और देवउठनी पर उठते हैं। जिसके बाद ही सारे मुहूर्त खुलते हैं और तुलसी विवाह होता है। माना जाता है कि अगर किसी को अपने मन की बात भगवान तक पहुंचानी हो तो वो तुलसी के जरिये पहुंचा सकता है। भगवान तुलसी मां की बात कभी नहीं टालते।

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तुलसी विवाह का महत्व

तुलसी विवाह के साथ ही त्योहारों का सीजन भी शुरू हो जाता है। शादियों के लिये मुहूर्त खुल जाते हैं। हर जगह खुशियां ही खुशियां आ जाती हैं। तुलसी विवाह का कार्यक्रम सबसे ज्यादा गोआ में मनाया जाता है। गोआ में ऐसा कोई ही हिंदुओं का घर होगा जिसमें की तुलसी ना हो।
जिस घर में किसी लड़के या लड़की की शादी में अड़चन आ रही हो उन्हें जरूर तुलसी विवाह करवाना चाहिए। ऐसा करने से विवाह की सारी अड़चनें दूर हो जाएंगी।
जिनकी अपनी बेटी नहीं है वो जरूर तुलसी विवाह कर कन्यादान करें। ऐसा करने से असली कन्यादान का फल मिल जाता है।


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