वेलेंटाइन डे,रोम के एक पुजारी के नाम पर मनाया जाता है, जो 269 ईसवी में शहीद हो गया था और जिसे 14 फ़रवरी 269 को फ्लेमिनिया में दफनाया गया था।उसके अवशेष रोम के सेंट फ्रेक्स्ड चर्च और डबलिन (आयरलैण्ड) के स्ट्रीट कामिलैट चर्च में रखे हुए हैं। वॅलिंटाइन्स डे संत वेलेंटाइन के नाम पर रखा गया है|

वेलेण्टाइन डेकहा जाता है कि संत वेलेंटाइन ने अपने मरने के पहले जेलर की नेत्रहीन बेटी को अपने नेत्र दान कर दिया था और एक पत्र दिया था जिस मे लिखा था तुम्हरा वैलेंटाइन्स| तब से लेकर आज तक इस दिन को वॅलिंटाइन डे के रूप में मनाया जाता है| इस बात के साथ ही एक और रोचक जानकारी यह है कि रोम मे तीसरी शताब्दी मे सम्राट क्लाडियस का शासन था| उनके अनुरूप विवाह करने पर आदमी की शक्ति और बुद्धि कम हो जाती है | उस ने अपने सारे सैनिको को विवाह न करने का आदेश दिया,जिसका संत वेलेंटाइन ने विरूध किया और उसने संत वेलेंटाइन को फासी की सज़ा दे दिया | तब से वेलेण्टाइन दिवस 14 फरवरी को हर साल मनाया जाता है।

भारत में वेलेंटाइन डे

भारत में 1992 के आसपास वेलेण्टाइन डे का प्रचलन प्रारम्भ हुआ। वैसे यह उत्सव भारत की सांस्कृतिक धरोहर से जुड़ा हुआ नही है फिर भी भारत के अन्य कई देशों में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है| यह उत्सव रोम से आरंभ हुआ था लेकिन विश्व बाज़ार की प्रतिस्पर्द्धा, आर्थिक उदारीकरण और पाश्चात्य प्रभाव के कारण भारतीय समाज एवम् विश्व के कई देशों के युवा वर्ग ने भी इसे आत्मसात कर लिया और तो और सार्वजनिक स्थानों पर प्रेम-प्रदर्शन की पारस्परिक प्रतिस्पर्द्धा शुरू हो गयी |

भारत में, प्राचीन परम्परा की दृष्टि से कामदेव को काम का देवता माना गया है। खजुराहो की मूर्तियों में काम-क्रिया के भित्ति चित्र भी दर्शाये गये हैं।कामसूत्र नाम का ग्रन्थ भी संस्कृत में उपलब्ध है जिसे आचार्य वात्स्यायन ने लिखा था। इसमें काम-कला का अद्भुत वर्णन मिलता है। मध्य युग के आसपास कामदेव की पूजा समाप्त हो गयी। रामचरितमानस में रति के पति कामदेव को शिव द्वारा भस्म किये जाने का प्रसंग भी मिलता है। 1990 के दशक तक स्वतन्त्र भारत में काम की पूजा को कोई महत्व नहीं दिया जाता था। 1992 के आसपास जब रंगीन टीवी चैनेलों का प्रचार और प्रसार हुआ और विशेष रूप से एमटीवी जैसे पूर्णत: व्यावसायिक टीवी चैनेल बाज़ार में आये तभी से वैलेण्टाइन डे कार्ड्स का प्रचलन प्रारम्भ हुआ। विश्व बाज़ार की प्रतिस्पर्द्धा और आर्थिक उदारीकरण ने इस आग में घी का काम किया। इस प्रकार जिस परम्परा को भारतीय समाज मध्य युग के बाद त्याग चुका था उसे युवा वर्ग ने पाश्चात्य प्रभाव के कारण आत्मसात कर लिया जिससे सार्वजनिक स्थानों पर प्रेम-प्रदर्शन की एक प्रतिस्पर्द्धा सी प्रारम्भ हो गयी।

वेलेंटाइन दिवस की शुरुआत से जुड़े तथ्य

-एक अन्य विशप टर्नी को भी प्रेम का वेलेण्टाइन बतलाया जाता है जो 197 ई. में सम्राट ऑरोलियन के उत्पीड़न से शहीद हो गये थे। कहा जाता है कि उनका शव भी फ्लेमिनिया में गड़ा है, लेकिन रोम के वेलेण्टाइन की समाधि से अलग स्थान पर उसे दफनाया गया था।
-कैथोलिक  भी एक विश्वकोष तीसरे सन्त वेलेण्टाइन का नाम बतलाता है जिसके नाम का उल्लेख अभी हाल में ही प्रकाशित शहीदनामा में 14 फ़रवरी को हुआ है। वह अफ्रीका में अपने एक साथी के साथ शहीद हो गया था। लेकिन इससे अधिक और कुछ उसके बारे में ज्ञात नहीं है।
-रोमन कैथोलिक कैलेण्डर से 14 फ़रवरी की लिस्ट में 1969 में संशोधन करके सन्त का नाम निकाल दिया गया। इसके लिये कारण यह बताया गया कि उसके नाम के अलावा और कुछ भी नहीं पता है। सिवाय इसके कि वह फ्लेमिनिया पर 14 फ़रवरी को दफनाया गया था। केवल कुछ परम्परावादी कैथोलिक ईसाई उस जगह पर सन्त के अवशेष होने का दावा कर रहे थे।
-चीन मे इसको "नाइट ऑफ सेवेन्स" के नाम से सैलिब्रेट किया जाता है, जबकी जापान और कोरिया मे इसको "वाइट डे" के नाम सैलिब्रेट किया जाता है|
-कुछ देशो मे  वैलेंटाइन्स पत्रो को गिफ्ट किया जाता है और कुछ देशो में इसे फूलो को देकर मनाते है| 19 सदी मे अमरीका ने इस दिन अवकाश घोषित कर दिया था लेकिन अब उस निर्णय को वापस ले लिया गया है| यू.एस. ग्रीटिंग कार्ड के अनुसार हर साल 1  बिलियन लोग वॅलिंटाइन्स कार्ड एक दूसरे को देते है|

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