विशु उत्सव
विशु उत्सव का केरल में बहुत महत्व होता है। लोगों में विशु को लेकर काफी मान्यताएं हैं। ऐसा भी मान्यता है कि केरल में विशु के त्योहार के दिन से धान की बुआई शुरू हो जाती है। केरल के साथ ही मलयालम में भी इसे नये साल की शुरुआत ही मानते हैं। इस दिन लोग नया पंचांग पढ़ते हैं और पूरे साल का अपना भविष्यफल देखते हैं। इस दिन केरल और मलयालम के हर घर में भगवान श्रीकृष्ण की पूजा की जाती है और अच्छी फसल की कामना की जाती है। विषु के दिन का मुख्य आकर्षण ‘विषुक्कणी’ है। ‘विषुक्कणी’ झांकी-दर्शन को कहते हैं। त्योहार के दिन आंख खोलने के बाद सबसे पहले विषुक्किणी का दर्शन किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि विषुक्कमणी का असर पूरे साल रहता है और इसके दर्शन से जीवन की हर परेशानियां खत्म हो जाती हैं। विशु के दिन अनेक धार्मिक कर्मकाण्ड आयोजित किए जाते हैं। विशु के पहले उत्तरी केरल के मन्दिरों में 'ब्रैटम' का आयोजन होता है। ब्रैटम एक तरह से पुरुषों के द्वारा अपने इष्टदेव को रिझाने के लिए प्रार्थना है। इस आराधना में दो विभिन्न जातियों के लोग देवी और देवता का रूप धारण करके रंग–बिरंगे वस्त्र पहन कर मन्दिर के समक्ष नृत्य करते हैं। विषु की पहले शाम को ‘कणी’ दर्शन की सामग्री इकट्ठी करके सजा ली जाती है। एक कांसे के डेगची या अन्य किसी बर्तन में चावल, नया कपड़ा, ककड़ी, कच्चा आम, पान का पत्ता, सुपारी, कटहल, आइना, अमलतास के फूल आदि सजा कर रख दिए जाते हैं और इसी बर्तन के पास एक दीपक जलाकर रखा जाता है। दीपक लंबा और ऊंचा होता है।विषुक्कबणी झांकी जब आती है तो उसके दर्शन कराने के लिए घर का सबसे बुजुर्ग व्यक्ति एक-एक कर घर के सदस्यों को सहारा देकर झांकी के पास ले जाता है और उसके दर्शन कराता है। विषुक्केणी का दर्शन करने से पहले घर का कोई भी सदस्य अपनी आंखें नहीं खोलता। विषुक्ककणी का दर्शन करने के बाद घर के बड़े-बुजुर्ग परिवार के सभी सदस्यों को तोहफा देते हैं या कुछ पैसे देते हैं। केरल में इसे ‘कैनीट्टम’ कहते हैं। केरल के कुछ हिस्सों में विषु के दिन पटाखों की आतिशबाजी भी लोग करते हैं। खासतौर से केरल के उत्तैरी हिस्से में विषु को बिल्कुल दिवाली की तरह मनाया जाता है। इस दिन घर में सद्य नामक भोज तैयार किया जाता है। जिसे दोपहर में ग्रहण किया जाता है। पकवान प्रायः कद्दू, आम, घिया, करेला, अन्य शाकहारी वस्तुओं और फलों से बनाये जाते हैं। ये सभी वस्तुएं इस ऋतु में मिल जाती है। महिलाएं इस दिन पारंपरिक कसुवु साड़ी और पुरुष धोती पहनते हें। केरल की 3.34 करोड़ की आबादी में लगभग 1.82 करोड़ लोग हिंदू हैं। इसलिए यहां हिंदू पर्वों की अधिकता रहती है। विशु पर्व के अहम पहलुओं में से एक यह है कि घर के सभी लोग 'विषुकनी दर्शन' अनुष्ठान करते हैं, जिसमें घर के लोग सुबह में सबसे पहले अपने पसंदीदा देवी-देवता के दर्शन करते हैं। ऐसी मान्यता है कि विषुकनी का शुभ प्रभाव पूरे साल भर बना रहता है।
To read this Article in English Click here