विवाह पंचमी

विवाह पंचमी हिंदू त्योहारों के सबसे शुभ त्योहारों मे से एक है| इसे अयोध्या के राजकुमार राम और जनकपुर की राजकुमारी सीता के विवाह के प्रतीक के रूप मे मनाया जाता है |

हिंदू पांचांग के अनुसार मार्गशीर्ष माह के शुक्लपक्ष के पाँचवें दिन विवाह पंचमी मनाई जाती है| पश्चिमी कैलेंडर के अनुसार यह नवंबर माह के अंत और दिसम्बर माह के प्रारंभ में आता है| यह त्योहार मुख्यतः भारत के उत्तरी क्षेत्र, मिथिलांचल और नेपाल मे धूमधाम से मनाया जाता है |

हिंदू महाकाव्य रामायण के अनुसार मिथिला के राजा जनक ने अपनी पुत्री सीता के लिए एक स्वयंवर आयोजित किया था | इस स्वयंवर मे कई राजा और राजकुमार आमंत्रित किए गये थे | स्वयंवर की शर्त यह थी कि भगवान शिव का धनुष उसके स्थान से उठाकर उसमे प्रत्यंचा चढ़ानी है, जो भी राजा या राजकुमार यह कार्य पूरा कर लेगा, राजा जनक की पुत्री सीता उससे विवाह करेंगी | वहाँ उपस्थित सभी राजाओं और राजकुमारों ने धनुष उठाने के कई प्रयत्न किए किंतु उठाना तो दूर किसी के लिए भी उसे स्थानांतरित करना भी संभव नही था | तब अयोध्या के राजकुमार श्रीराम ने विशालकाय शिवधनुष उठाकर उसमे प्रत्यंचा चढ़ाई | यह दृश्य देखकर सभी लोगों ने श्रीराम का अभिवादन किया और राजकुमारी सीता ने श्रीराम से विवाह किया | विवाह पंचमी भगवान राम और माता सीता के विवाह की स्मृति मे आज भी मनाया जाता है|

विवाह पंचमी उत्सव

विवाहपंचमी भगवान श्रीराम की जन्मस्थली अयोध्या मे पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाई जाती है| ऐसी ही उमंग माता सीता की जन्मस्थली मिथिला मे भी देखने को मिलती है, जो आज के समय मे नेपाल मे स्थित है | अयोध्या मे स्थित सैकड़ों वर्ष पुराने मंदिर, विवाह पंचमी के दिन रोशनी और फूलों से बड़ी खूबसूरती से सजायें जाते है|इस पूरे महोत्सव मे अयोध्या मे भगवान श्रीराम की एक भव्य बारात निकाली जाती है,जो हर मंदिर से होती हुई गुज़रती है और अंततः विवाह समारोह पर पहुँचती है | इसके बाद भगवान श्रीराम और माता सीता का विवाह संम्पन्न होता है |

इस पूरे उत्सव के साक्षी, देश से आए कई हिंदू बनते है | पूरे समारोह के दौरान बाहर से आने वाले श्रद्धालु रामायण से मे लिखे गये कई चौपाईयाँ और गीत-भजन आदि गाते है | मंदिरों मे कई तरह के विस्तृत अनुष्ठान भगवान श्रीराम और माता सीता की प्रतिमा सामने रखकर पूरे किए जाते है | श्रीराम की जन्मस्थली अयोध्या मे मिथिला से भी बहुत से श्रद्धालु इस त्योहार का हिस्सा बनने आते है | मिथिला से आए कई श्रद्धालु अयोध्या आकर मंचों पर तात्कालिक समय की पारंपरिक पोशाक पहनकर श्रीराम और सीता के विवाह के मंचन करते है, जिसे "रामविवाह उत्सव" कहा जाता है |

मंदिरों में रामविवाह के अलावा भी पूरे अयोध्या मे कई तरह के सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते है जिसमे कई और समुदायों के लोग भी बढ़-चढ़ कर शामिल होते है|

रामलीला भगवानराम के जीवन को आज के समय मे लोगों तक पहुँचाने का सबसे प्रचलित माध्यम यही है, जो सदियों से चली 
आ रही  है | रामविवाह उत्सव के दौरान भी रामलीला का यह नाटक खेला जाता है | इस नाटक मे श्रीराम और मातासीता का किरदार पुरुष कलाकारों द्वारा ही निभाया जाता है| रामविवाह उत्सव के दौरान अयोध्या आने वालें सैलानी रामलीला को लेकर ख़ासे उत्साहित रहते है | ऐसे ही कई तरह के कार्यक्रमों से संपूर्ण अयोध्या जीवंत हो उठता है |

विवाहपंचमी का उत्सव, भारत और नेपाल के बीच सदियों से चले आ रहे संबंध का एक खूबसूरत प्रतीक भी है | विवाह उत्सव के समय नेपाल के जनकपुर मे भी इस तरह के आयोजन किए जाते है | सांस्कृतिक दृष्टि से जनकपुर नेपाल के एतिहासिक शहरों मे शुमार है | विवाह पंचमी का समय जनकपुर जाने का सबसे अच्छा समय कहा जाता है,जिससे शहर की परंपरा और संस्कृति को जाना जा सकता है |

विवाहपंचमी उत्सव के समय जनकपुर मे स्थित जानकी मंदिर में सात दिन के लिए यह उत्सव मनाया जाता है | इस दौरान मंदिर में श्रीराम और माता सीता की प्रतिमा रखकर पूरे विधि-विधान से विवाह कराया जाता है | इस पूरे समाहरों में जानकी मंदिर को फूल-मालाओं से सजाया जाता है | श्रीराम और माता सीता की प्रतिमाओं को भी नये वस्त्र और आभूषणो से सुशोभित किया जाता है | पूरे उत्सव के दौरान मंदिरों मे मंत्रोच्चारण होता है | जानकी मंदिर और आसपास के कई अन्य मंदिर मिलकर दर्शन करने आए श्रद्धालुओं को प्रसाद के रूप मे पारंपरिक भोज कराते है | विवाह पंचमी के दौरान जनकपुर की रौनक देखते ही बनती है | 

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