
भू विज्ञान पर आधारित मौसम विभाग में कई विषयों पर शोध होता है इस विज्ञान का उपयोग समय समय पर आने वालवी आपदाओं जैसे बाढ़ सूखा भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदा ही नहीं वरन वर्षा की स्थिति चक्रवातों की संभावनाएं एवं हवाई यातायात, समुद्री यातायात आदि को मौसम की सटीक जानकारी प्रदान कर सहायता करना है। मौसम विभाग के संगठन की स्थापना का उद्देश्य मानव की तकलीफों को कम कर उनका विकास करना है। मौसम विभाग का प्रयोग आज के समय में मौसम गुब्बारों, रडारों, कृत्रिम उपग्रहों नाविकों, समुद्री जहाजों और उन लोगों द्वारा भी किया जाता है जो सड़क एवं विमान यातायात का प्रबंधन संभालते हैं। ये सारी बातें मौसम पर्यवेक्षण टावरों, , उच्च क्षमता वाले कंप्यूटरों और भिन्न-भिन्न अंकगणितीय मॉडलों से भी संभव हो पाती है।
मौसम विज्ञान द्वारा दी गई जानकारी के फलस्वरुप ही दूर देशों की यात्रा संभव हो पाती है। किस शहर मे क्या मौसम है। कहां कौन सी आपदा है इन सब बातों की जानकारी मौसम विज्ञान द्वारा ही संभव हो पाई है। प्रतिवर्ष मौसम विभाग संगठन यह दिन किसी ना किसी खास विषय को ध्यान में रखकर मनाता है। साल 2011 में विश्व मौसम विज्ञान दिवस के अवसर पर 'जलवायु हमारे लिए' विषय पर जोर दिया गया। जबकि वर्ष 2013 में इसका विषय था- ‘जीवन और संपत्ति के संरक्षण हेतु मौसम का अवलोकन’ था। साल 2017 में इसका विषय था- ‘उग्र मौसम ने जिंदगियां लील ली और आजीविका को तबाह कर दिया।‘ साल 2018 में विश्व मौसम विभाग दिवस दुनिया के पटल पर "मौसम-तैयार, जलवायु-स्मार्ट" के रूप में मनाने के उद्देश्य के साथ संपन्न किया गया।
इस दिवस पर कई तरह के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। मौसम संबंधी विभाग के अधिकार, विशेषज्ञ, समुदाय के नेताओं और आम जनता के लिए सम्मेलन, संगोष्ठी और प्रदर्शनियां आयोजित की जाती है। जिनमें मुख्य रुप से मौसम में घटने वाली विभिन्न घटनाओं पर मंथन किया जाता है। मौसम में हो रहे परिर्वतन और उस पर पड़ रहे प्रभाव का भी विश्लेषण किया जाता है। कई देश विश्व मौसम दिवस मनाने के लिए डाक टिकटों या विशेष डाक टिकट रद्दीकरण अंक जारी करते हैं। ये टिकट घटना या देश की मौसम विज्ञान उपलब्धियों से अवगत कराती है।
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