"विश्व एड्स दिवस" पूरे विश्व मे हर वर्ष
1 दिसम्बर को मनाया जाता है | एड्स दिवस मनाए जाने का उद्देश्य पूरी दुनिया और लोगों के बीच एचआईवी और एड्स के प्रति जागरूकता लाना है | एड्स दिवस के माध्यम से इस बात पर ज़ोर दिया जाता है, कि विश्व मे निवास करने वाले प्रत्येक मनुष्य को पूरी ज़िम्मेदारी के साथ एचआईवी पीड़ितों और उनके मध्य संवाद बनाए रखने का कर्तव्य निर्वहन करना चाहियें |
इस दिन हर एक व्यक्ति और कई संगठन एक साथ आते है ताकि एड्स जैसे महामारी की ओर सभी का ध्यान खिच सके, साथ ही उन तरीक़ो से लोगों को अवगत करायें, जिसमे वह यह जान पायें कि एड्स पीड़ित से किस तरह का व्यवहार करना चाहिए? इसे बढ़ने से कैसे रोका जा सकता है और यह भी कि इस महामारी की चपेट मे अब कोई नया इंसान ना आयें |
इस वर्ष विश्व एड्स दिवस शुक्रवार, 1 दिसंबर को मनाया जाएगा | 
विश्व एड्स दिवस मनाए जाने की मंशा हमेशा से यह रही है कि एड्स जैसी महामारी से होने वाले दुष्प्रभाव और उससे आने वाली चुनौतियों से लोग भली-भाँति परिचित हो, जिससे इन चुनौतियों के विरुद्ध बदलाव लाया जा सकें | वर्ल्ड एड्स दिवस की शुरुआत 1988 मे लंडन के स्वास्थ मंत्रालय के एक सॅमिट मे की गयी थी | इस मीटिंग मे हिस्सा लेने वाले सभी नेताओं का यही मत था कि पूरे विश्व मे एड्स के प्रति साझा सहयोग से ही इस बीमारी को बढ़ने से रोका जा सकता है |
विश्व एड्स दिवस की सहायता से सरकारें,राष्ट्रीय एड्स कार्यक्रम, कल्याणकारी संगठन, सामुदायिक संगठन और प्रत्येक व्यक्ति को एड्स जैसे महामारी से बचाव हेतु अवसर प्राप्त होता है | हर साल विश्व एड्स दिवस के दिन एक थीम चुनी जाती है,जिससे एड्स से होनी वाली समस्याएं और उनसे बचने के तरीक़ो को एड्स पीड़ित लोगों को बताया जाता है|
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