
विश्व दूरसंचार दिवस का महत्व
एक दूरी पर संचारित करने के लिए संदेश संकेतों की आवश्यकता होती है, और हम इस प्रक्रिया को दूरसंचार के रूप में जानते हैं। इससे पहले, दूर-दराज के लोगों को संदेशों को संवाद करने के लिए चिटठी, ड्रम, सेमफोर, झंडे या हेलीओग्राफ का उपयोग किया जाता था। आधुनिकीकरण और प्रौद्योगिकी के विकास के साथ दूरसंचार के लिए टेलीफोन, टेलीविजन, रेडियो या कंप्यूटर जैसे इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का उपयोग आम हो गया। विश्व दूरसंचार दिवस विश्व दूरसंचार दिवस को अंतर्राष्ट्रीय दूरसंचार संघ (आईटीयू) की स्थापना की सालगिरह को चिह्नित किया जाता है जिसे 1865 में शुरू किया गया था। पूरे विश्व में 17 मई को विश्व दूरसंचार दिवस मनाया जाता है। भारत में संचार के रुप में टेलिफोन की शुरुआत 1880 में हुई जब दो टेलीफोन कंपनियों द ओरिएंटल टेलीफोन कंपनी लिमिटेड और एंग्लो इंडियन टेलीफोन कंपनी लिमिटेड ने भारत में टेलीफोन एक्सचेंज की स्थापना करने के लिए भारत सरकार से संपर्क किया। इस अनुमति को इस आधार पर अस्वीकृत कर दिया गया कि टेलीफोन की स्थापना करना सरकार का एकाधिकार था और सरकार खुद यह काम शुरू करेगी। 1881 में सरकार ने अपने पहले के फैसले के खिलाफ जाकर इंग्लैंड की ओरिएंटल टेलीफोन कंपनी लिमिटेड को कोलकाता, मुंबई, मद्रास (चेन्नई) और अहमदाबाद में टेलीफोन एक्सचेंज खोलने के लिए लाइसेंस दिया। इससे 1881 में देश में पहली औपचारिक टेलीफोन सेवा की स्थापना हुई। विश्व दूरसंचार दिवस राष्ट्रीय नीतियों को बढ़ाने, तकनीकी मतभेदों को भरने, कनेक्टिविटी को बढ़ावा देने, सिस्टम की वैश्विक अंतःक्रियाशीलता को बढ़ावा देने और इंटरनेट, टेलीविजन, फोन इत्यादि के माध्यम से वैश्विक स्तर पर भौतिक दूरी पर नियंत्रण करने के लिए केंद्रित है। आज संचार के कारण दो लोगों के बीच की दूरी कम हो पाई है। पहले लोग पहले एक-दूसरे से बात किए बिना एवं उन्हें देखे बिना सालों तक दूर रहते थे किन्तु आज सूचना क्रांति के कारण उनकी दूरी एक क्षणभर की रह गई है। इंटरनेट की तेजी, मोबाईल फोन, कंप्यूटर, लैपटॉप इत्यादि के जरिए जिन लोगों से मुलाकात किए सालों बित जाते थे आज उनसे रोज बाते की जा सकती है। व्यक्ति के विकास में भी दूरसंचार ने अहम भूमिका निभाई है। आज कोई भी व्यक्ति इंटरनेट के जरिए अपनी शिक्षा ग्रहण कर सकता है। अपनी बात दूसरों तक आसानी से पहुंचा सकता है। आज शिक्षा के क्षेत्र में तेजी से प्रगति लाने का श्रेय भी दूरसंचार तकनीक को ही जाता है। आज के समय में थ्री जी, फोर जी और कई देशों में फाइव जी के आ जाने से संचार के क्षेत्र मे क्रांति आई है। इस तकनीक ने मोबाइल की दुनिया को पूरी तरह से बदल कर रख दिया है। थ्री जी फोन सबसे पहले 2001 में जापान में लांच किया गया था। थ्री जी तकनीक के मोबाइल की सबसे बड़ी खासियत इसकी स्पीड है। लेकिन आज दुनिया भर में थ्रीजी की तेजी के टक्कर देने के लिए फोर जी, फाइव जी मोबाइल , इंटरनेट आ गए हैं। जो एक सेंकेड से भी कम समय में आपके संदेश को एक देश से दूसरे देश पहुंचा देते हैं। तकनीकी के आ जाने से आज सूचना पहुंचाना सबसे असान कार्य हो गया है। सूचना केवल पृथ्वी पर ही नहीं बल्कि अब तो अंतरीक्ष और अन्य ग्रहों के जरिए भी सूचना का आदान-प्रदान संभव हो पाया है।विश्व दूरसंचार दिवस के कार्यक्रम
विश्व दूरसंचार दिवस जनता के बीच संचार प्रौद्योगिकी के सकारात्मक के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए मनाया जाता है। इसका उद्देश्य दूरस्थ और ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के लिए जानकारी और संचार को अधिक सुलभ बनाना है। इस दिन हर साल एक अलग विषय के साथ मनाया जाता है। वर्ल्ड टेलीकम्युनिकेशन डे 1997 के लिए विषय विश्व दूरसंचार दिवस 2005 के लिए "दूरसंचार और मानवीय सहायता" था, यह विश्व दूरसंचार दिवस 2006 के लिए "टाइम फॉर एक्शन" था, यह विश्व दूरसंचार दिवस 2007 के लिए "वैश्विक साइबर सुरक्षा को बढ़ावा देना" था विश्व दूरसंचार दिवस 2008 के लिए "युवाओं को जोड़ना, आईसीटी के अवसर", यह "विकलांग लोगों से जुड़ना" था। इस दिन लोग सूचना के क्षेत्र में तरक्की को प्रोत्साहित करते हैं। इटंरनेट से होने वाले फायदे एवं नुकसानों के प्रति भी लोगों को इस दिन जागरुक किया जात है। संगोष्ठियों, चर्चाओं एवं विभिन्न प्रतियोगिताओं द्वारा दूरसंचार के महत्व को प्रदर्शित किया जाता है। ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग दूरसंचार दिवस की महत्वता को समझे और तकनीकी रुप से आए परिवर्तन का सम्मान करें।TO read this Article in English Click here