एक समय था कि भारत के वेद युग से निकले योग को हम महत्वहीन समझते थे लेकिन जब यही शिक्षा पश्चिम से होती हुई हम तक लौटकर पहुँची तब इसका महत्व हम समझ पाए| आधुनिक युग में पश्चिमी दुनिया का योग से परिचय कराया स्वामी विवेकानंदजी ने, जब उन्होंने 1893 में अमेरिका के शिकागो में विश्व धर्म संसद को संबोधित किया। उसके बाद से पूर्व के कई गुरुओं व योगियों ने दुनियाभर में योग का प्रसार किया और दुनिया ने योग को बड़े पैमाने पर स्वीकार किया। योग पर कई अध्ययन और शोध हुए, जिन्होंने मानव कल्याण में योग के विस्तृत और दीर्घकालिक फायदों को साबित किया। पिछले पचास सालों में योग न सिर्फ एक अंतर्राष्ट्रीय घटना बन चुका है, बल्कि दुनिया के हजारों लाखों लोगों के लिए एक जाना पहचाना नाम बन चुका है। इन लोगों में कई तो विश्व-स्तर के नेता, अभिनेता, मॉडल, खेल से जुड़ी हस्तियां शामिल हैं, जो किसी न किसी रूप में योग का अभ्यास करती हैं।
योग दिवस की शुरुआत
योग सप्ताह के साथ योग दिवस के रूप में भारत का योग दान सराहनीय रहा| पिछले 15 सालों में कई योग गुरुओं और संस्थाओं ने किसी एक दिन को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मनाए जाने की बात करना शुरू कर दी थी।हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, जो बेहद कम उम्र से योग का अभ्यास करते आ रहे हैं, ने सिंतबर 2014 में यूनाइटेड नेशंस की मीटिंग में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के आयोजन का प्रस्ताव रखा। और फिर जैसा कि हम सभी जानते हैं कि 11 दिसंबर 2014 को यूएन ने इस प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया। सबसे मजेदार बात ये कि इस प्रस्ताव का समर्थन 193 में से 175 देशों ने किया और बिना किसी वोटिंग के इसे स्वीकार कर लिया गया।
1 जून को ही अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस बनाए जाने के पीछे वजह है कि इस दिन ग्रीष्म संक्रांति होती है। इस दिन सूर्य धरती की दृष्टि से उत्तर से दक्षिण की ओर चलना शुरू करता है। यानी सूर्य जो अब तक उत्तरी गोलार्ध के सामने था, अब दक्षिणी गोलार्ध की तरफ बढऩा शुरु हो जाता है। योग के नजरिए से यह समय संक्रमण काल होता है, यानी रूपांतरण के लिए बेहतर समय होता है।
"ग्रीष्म संक्राति के दिन अपने ध्यान से उठने के बाद आदियोगी दक्षिण की ओर घूमे, जहां उनकी सबसे पहली नजर सप्त ऋषियों पर पड़ी। ये सात ऋषि उनके पहले सात शिष्य थे, जो योग विज्ञान को दुनिया के हर कोने में ले गए। यह बेहद खुशी की बात है कि 21 जून मानवता के इतिहास में उस महान घटना का प्रतीक बन गया। योगिक कथाओं के अनुसार योग का पहला प्रसार शिव द्वारा उनके सात शिष्यों के बीच किया गया। कहते हैं कि इन सप्त ऋषियों को ग्रीष्म संक्राति के बाद आने वाली पहली पूर्णिमा के दिन योग की दीक्षा दी गई थी, जिसे शिव के अवतरण के तौर पर भी मनाते हैं। इस दौर को दक्षिणायन के नाम से जाना जाता है। इस दौरान आध्यात्मिक साधना करने वाले लोगों को प्रकृति की तरफ से स्वत: सहयोग मिलता है|"
आयोजन का उद्देश्य
- योग के अद्भुत और प्राकृतिक फायदों के बारे में लोगों को बताना।
- योग अभ्यास के द्वारा लोगों को प्रकृति से जोड़ना।
- योग के द्वारा ध्यान की आदत को लोगों में बनाना।
- योग के समग्र फायदों की ओर पूरे विश्वभर में लोगों का ध्यान खींचना।
- पूरे विश्व भर में स्वास्थ्य चुनौतीपूर्ण बीमारियों की दर को घटाना।
- व्यस्त दिनचर्या से स्वास्थ्य के लिये एक दिन निकाल कर समुदायों को और करीब लाना।
- वृद्धि, विकास और शांति को पूरे विश्वभर में फैलाना।
- योग के द्वारा तनाव से राहत दिलाने के द्वारा खुद से उनकी बुरी परिस्थिति में लोगों की मदद करना।
- योग के द्वारा लोगों के बीच वैश्विक समन्वय को मजबूत करना।
- लोगों को शारीरिक और मानसिक बीमारियों के प्रति जागरुक बनाना और योग के माध्यम से इसका समाधन उपलब्ध कराना।
- अस्वास्थ्यकर कार्यों से बचाना और बेहतर स्वास्थ को बनाने के लिये अच्छे कार्य को सम्मान और प्रचारित करना।
- शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के उच्च स्तर का पूरी तरह से आनन्द लेने के लिये लोगों को उनके अच्छे स्वास्थ्य और स्वस्थ्य जीवन-शैली के अधिकार के बारे में बताना।
- स्वास्थ्य की सुरक्षा और दीर्घकालिक स्वास्थ्य विकास के बीच संबंध जोड़ना।
- नियमित योग अभ्यास के द्वारा सभी स्वास्थ्य चुनौतीयों से पार पाना।
- योग अभ्यास के द्वारा लोगों के बेहतर मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को प्रचारित करना।
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