बालियात्रा जैसा नाम से ही स्पष्ट होता है बालि की यात्रा| बालियात्रा पर्व कार्तिक माह की पूर्णिमा को मुख्यतःओड़ीसा में ही मनाया जाता है| कार्तिक माह सभी 12 महीनों में सबसे पवित्र माना जाने वाला माह कहा गया है| पश्चिमी कैलेंडर के अनुसार कार्तिक माह अक्टूबर-नवंबर के समय पर आता है| पारंपरिक तौर पर बालियात्रा इस बात का प्रतीक है कि कार्तिक माह के दौरान सभी धर्मों मे मनायें जाने वालें उत्सव और त्योहारों की पराकाष्ठा है|

बालियात्रा पर्वओड़ीसा के कटक शहर में मनायें जाने वालें इस पर्व में कार्तिकेश्वर की प्रतिमा/तस्वीर की आराधना की जाती है,साथ ही कटक शहर में महानदी के किनारे स्थित शिवमंदिर में पूजा अर्चना भी होती है| कार्तिक माह के अंतिम दिनों में शहर में बने पुराने किले के पास महानदी के तट पर श्रद्धालूं डुबकी लगाकर किनारे लगने वालें मेले का आनंद उठाते है|

पुरानी मान्यतायें और श्रद्धांजलि के रूप में  लोग,यहाँ रहने वालें प्राचीन नाविकों की स्मृति में काग़ज़, वृक्ष की छाल, रंगीन पेपर और केले के पत्तों की सहायता से नक़ली नाव बनाकर नदी या पोखरों में चलाते है| यहाँ ऐसा ही एक अन्य प्रचलित रिवाज़ भी है,जिसमे नाव के खोखलें हिस्से पर लैंप जलाई जाती है जिसे "बोइटा बंदन" कहां जाता है| इन परंपराओं के अलावा इन रिवाज़ों से यहां आने वालें लोगों को पानी मे तैरती रोशनी का मनोरम दृश्य देखने को मिलता है|

ऐतिहासिक पृष्टभूमि

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार कहाँ जाता है कि प्राचीन समय में  कटक क्षेत्र मे कार्य करने वालें व्यापारी जिन्हें बालि, सुमात्रा, जावा, बॉर्नीयो, श्रीलंका जैसे देशों में जाने के लिए लंबी यात्रा करनी पड़ती थी,उनके अनुसार यात्रा हेतु कार्तिक पूर्णिमा सबसे शुभ मानी जाती थी|

आकर्षण

ओड़ीसा में मनाया जाने वाला बालियात्रा उत्सव पिछलें कुछ समय से यहां आने वालें सैलानियों के आकर्षण का केंद्र बन चुका है| सैलानियों की अभिरूचि देखते हुए अब ओड़ीसा सरकार भी इस पर्व के माध्यम से ओड़ीसा राज्य की संस्कृति और परंपरा को पूरे विश्व तक पहुचाने के प्रयास में लगी है| इसके लिए ओड़ीसा सरकार का पर्यटन विभाग बालियात्रा के दौरान कई तरह के आकर्षक पैकेज लाता रहता है ताकि लोगों को ओड़ीसा की आकर्षक संस्कृति की जानकारी मिल सकें|
ओड़ीसा का बालियात्रा त्योहार

बालियात्रा के दौरान ओड़ीसा प्रशासन द्वारा मेलें लगाकर राज्य में निर्मित विभिन्न प्रकार की वस्तुओं की प्रदर्शनी भी लगाई जाती है,जिससे उन सामानों का क्रय-विक्रय भी होता रहे| मेले के दौरान लोगों के आकर्षण का केंद्र बन चुकी बोटिंग को भी प्रशासन बढ़ावा देती है जिससे और अधिक सैलानी बालियात्रा मे शामिल हो सकें|  

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