पुरानी कहावत थी कि "पढ़ोगे-लिखोगे तो बनोगे नवाब, खेलोगे-कूदोगे तो होगे ख़राब"| पर आज के इस दौर में ना तो खेलने कूदने से कोई खराब होता है और पढ़ने-लिखने से तो पहले भी नवाब ही बनते थे| जब बात पढ़ने लिखने की चली है, तो ज़ेहन मे सबसे पहले किताबें, लेखक, कवि और शायर ही आते है लेकिन इनके साथ एक और चीज़ भी ख्याल में आती है वो है "जयपुर साहित्य महोत्सव"

हर वर्ष की तरह इस साहित्य महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है| पांच दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन जयपुर के ऐतिहासिक दिग्गी पैलेस में होगा|
लेखक एवं महोत्सव के सह संस्थापक विलियम डेलरिम्पल ने कहा, ‘‘हमने महोत्सव की शुरूआत दो उद्देश्यों को ध्यान में रखते हुए की थी| इसमें विश्व को जयपुर लाना और महान भारतीय साहित्य को विश्व तक पहुंचाना था| मैं प्रसन्न हूं कि हमने 10 वर्ष पहले जो उद्देश्य तय किये थे उसे हासिल करने में हम सफल रहे हैं"|
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