
बाबा गुरुबचन सिंह का जीवन परिचय
बाबा गुरबचन सिंह जी का जन्म 10 दिसम्बर, 1930 को पेशावर (वर्तमान पाकिस्तान) में बाबा अवतार सिंह जी एवं माता बुद्धवन्ती जी के घर में हुआ। आपने मिडिल तक पेशावर और फिर मैट्रिक की पढ़ाई रावल पिंडी के खालसा स्कूल में प्राप्त की। 1947 की उथल-पुथल में पढ़ाई कहीं पीछे रह गई। उनका विवाह मन्ना सिंह जी की बेटी कुलवन्त कौर जी के साथ हुआ था। विभाजन के कारण उत्पन्न हिंसक स्थितियों से उन्हें जूझना पड़ा। उन्होंने बंटवारे के समय लोगों की काफी मदद की। 1962 में बाबा अवतार सिंह जी ने गुरु बचन सिंह को गुरु गद्दी पर आसीन कर स्वंय लीन हो गए। 32 वर्ष के युवा बाबा गुरबचन सिंह जी ने अगले 17 वर्षों तक मिशन की प्राण-प्रण से सेवा की और मिशन को देश के कोने-कोने में फैलाने का यशस्वी कार्य किया। देशभर में जगह-जगह सुचारु रूप से सत्संग की सम्पन्नता के लिए भवनों को निर्माण कराया। 13 अप्रैल 1978 को अमृतसर में मानव एकता सम्मेलन का आयोजन हुआ, जिसमें भ्रमित लोगों ने अशान्ति फैलाने का कार्य किया। उन्होंने कई समाजिक सुधार के कार्य किए। निर्धनो का विवाह कराया, सादगीपूर्ण शादी करने पर बल दिया ताकि शादी में होने वाले व्यर्थ के खर्चों को रोका जा सके, लोगों को ज्ञान का पाठ दिया, साहस, निजरता का बोध कराया। बाबा गुरबचन सिंह जी ने मानवता के भले की खातिर अपने जीवन का बलिदान दिया और अपना सारा जीवन मानव एकता मानव कल्याण के लिए अर्पण किया। बाबा गुरबचन सिंह जी ने जहां आत्मिक जागृति लाई उसके साथ-साथ समाज सेवा के क्षेत्र में भी बहुत बड़ा योगदान डाला। उन्होंने स्कूल, कालेज, मुफ्त सिलाई कढ़ाई सेंटर, डिस्पेंसरियां और अन्य सामाजिक कार्यों की शुरूआत की। बाबा जी ने कहा कि यदि हमारा नौजवान वर्ग पढ़ लिखकर सेवा के क्षेत्र में आगे बढ़ेगा तो ही हमारा समाज एक अच्छा समाज बन सकेगा देश भी आगे बढ़ेगा। जिसके बाद 24 अप्रैल 1980 को स्वयं बाबा गुरबचन सिंह जी ने अपना सर्वोच्च बलिदान देकर हिंसा को रोका।मानव एकता दिवस के कार्यक्रम
24 अप्रैल को निरंकारी श्रद्धालु 'मानव एकता दिवस के रूप में विश्व भर में विशाल समागमों का आयोजन करते हैं। पीड़ा के उन क्षणों की पीड़ा शान्त हो इसके लिए बढ़-चढ़ कर रक्तदान करते हैं। सैकड़ों रक्तदान शिविरों के माध्यम से इस दिन रक्त दान किया जाता है। संयुक्त राज्य, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, ग्रीस, न्यूजीलैंड, नेपाल, बहरीन, कुवैत आदि जैसे स्थानों पर मानव एकता दिवस पर विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। बाबा गुरुबचन को याद कर निरंकारी समाज बड़े स्तर पर संत्सग, भजन, कीर्तिन का आयोजन करता है। गरीबों को दान दिया जाता है। मुफ्त इलाज के लिए कई कैंप लगाए जाते हैं। लाखों निरंकारी श्रद्धालु निरंकारी बाबा गुरबचन सिंह जी को इस दिन श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए मानव एकता के इसी संकल्प को निश्चयपूर्वक मजबूती प्रदान करते हैं।To read this article in English Click here