

क्या होता है मेले में?
ये खासतौर पर ऊंटों और पशुओं का मेला होता है। पूरे राजस्थान से लोग अपने अपने ऊंटों को लेकर आते हैं और उनको प्रदर्शित किया जाता है। ऊंटों की दौड़ होती है। जीतने वाले को अच्छा खासा इनाम भी मिलता है। पारंपरिक परिधानों से ऊंट इस तरह सजाए गए होते हैं कि उनसे नज़र ही नहीं हटती। सबसे सुंदर ऊंट और ऊंटनी को भी इनाम मिलता है। ऊंटों की सवारी करवाई जाती है। यही नहीं ऊंटों का डांस और ऊंटों से वेटलिफ्टिंग भी करवाई जाती है। ऊंट नए नए करतब दिखाते हैं। नृत्य होता है, लोक गीत गाए जाते हैं और रात को अलाव जलाकर गाथाएं सुनाई जाती हैं।कार्तिक पूर्णिमा
पुष्कर मेला कार्तिक पूर्णिमा को शुरू होता है और पुष्कर की झील में नहाना, तीर्थ करने के समान माना गया है। इस दिन लाखों की संख्या में श्रद्धालु झील में डुबकी लगाकर, ब्रह्मा जी का आशीर्वाद लेकर मेले में खरीद फरोख्त करते हैं। पूरा दिन और शाम को पारंपरिक नृत्य, घूमर, गेर मांड और सपेरा दिखाए जाते हैं। शाम को आरती होती है। इस आरती को शाम के वक्त सुनना मन को काफी शांति देती है।कैसे पहुंचें पुष्कर ?
अगर आप हवाई मार्ग से जाना चाहते हैं तो जयपुर एयरपोर्ट तक आ सकते हैं। इससे आगे 140 किलोमीटर की दूरी बस या टैक्सी से कर सकते हैं। ट्रेन से आना चाहते हैं तो कई ट्रेनें अजमेर तक चलती हैं और अजमेर से पुष्कर सिर्फ 11 किलोमीटर है।To read this article in English, click here