राजस्थान के झालरापाटन में हर साल चंद्रभागा मेला लगता है। झालरापाटन, झालावाड़ से महज 6 किलोमीटर की दूरी पर है। यह मेला हर साल कार्तिक महीने में लगता है। ये मेला चंद्रभागा नदी के सम्मान में मनाया जाता है, जिसमें कार्तिक मास के पूरे चांद में स्नान करना उत्तम माना गया है। इस दिन दूर दूर से श्रद्धालु आकर डुबकी लगाते हैं।  लोग पारंपरिक परिधान पहन कर आते हैं और सबसे पहले नदी में स्नान करके अराधना करते हैं, फिर मेला घूमते हैं। यहां की ख़ासियत पशु मेले की भी है। पशु पालन विभाग की देख रेख में बहुत बड़ा पशु मेला लगता है, जिसमें कई अलग अलग पशु प्रदर्शित होते हैं। साथ ही में सबसे स्वस्थ और सुंदर पशु को इनाम भी दिया जाता है। इसके साथ ही कपड़ा, फर्नीचर, हैंडिक्राफ्ट बगैरह की कई दुकानें लगती हैं। खाने पीने के शौकीनों के लिये तो ये जन्नत है। मेले में हर तरह के स्थानीय और विदेशी पकवान मिलते हैं।

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मेले के पीछे की कहानी

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महाराजा झाला जालिम सिंह जब इस इलाके पर राज करते थे उस वक्त राज्य की अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिये उन्होंने व्यापार केंद्र बनाने का फैसला लिया और इसी के लिये चंद्रभागा नदी के तट पर पशु मेला लगाया गया। इस मेले में कई राज्यों से व्यापारी आते थे और खरीद फरोख्त होती थी। आज भी यहां पर लाखों का कारोबार होता है। पहले इसे स्थानीय निकाय संचालित करता था बाद में इसकी जिम्मेदारी पशुपालन विभाग को दे दी गई।



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