हिन्दू धर्म में भगवान हनुमान का बड़ा महत्व है। हिंदू मान्यतानुसार केवल भगवान हनुमान ही हैं जो त्रेतायुग से कलियुग तक यानि आज तक पृथ्वी पर साक्षात विराजमान है। हनुमान को उनकी शक्ति, भक्ति,बहादुरी और ताकत के लिए जाना जाता है। उन्हें एक बुद्धिमान योगी और ब्रह्मचारी भी माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि भगवान हनुमान भगवान शिव के 10 वें रुद्र अवतार हैं। भगवान राम की सेवा करने के लिए उन्होंने हनुमान का रुप धारण किया था। उन्होंने भगवान राम की बुराई के खिलाफ लड़ाई में मदद की थी। भगवान हनुमान का जन्म त्रेतायुग के अंतिम चरण में चैत्र पूर्णिमा को मंगलवार के दिन चित्रा नक्षत्र व मेष लग्न के योग में हुआ था। उनका जन्म स्थल झारखंड राज्य के गुमला में स्थित अंजना नामक पहाड़ पर माना जाता है। भगवान हनुमान की माता अंजना एवं पिता केसरी थे। इसलिए उन्हें केसरी नंदन और अंजनीपुत्र भी कहा जाता है।भगवान हनुमान का नाम सुनकर ही भूत-पिशाच जैसी बुरी शक्तियां थर-थर कांपती है। इसलिए इन्हें सकंटमोचन हनुमान भी कहा जाता है।

भगवान हनुमान

श्री हनुमान चालीसा का अर्थ

जय हनुमान ज्ञान गुन सागर ।
जय कपीस तिहुँ लोक उजागर॥१॥
 
हिंदी अर्थ- श्री हनुमान जी! आपकी जय हो। आपका ज्ञान और गुण अथाह है। हे कपीश्वर! आपकी जय हो! तीनों लोकों, स्वर्ग लोक, भूलोक और पाताल लोक में आपकी कीर्ति है।
 
राम दूत अतुलित बल धामा ।
अंजनि पुत्र पवनसुत नामा॥२॥
 
हिंदी अर्थ- हे पवनसुत अंजनी नंदन! आपके समान दूसरा बलवान नहीं है।
 
महावीर विक्रम बजरंगी ।
कुमति निवार सुमति के संगी॥३॥
 
हिंदी अर्थ- हे महावीर बजरंग बली!आप विशेष पराक्रम वाले है। आप खराब बुद्धि को दूर करते है, और अच्छी बुद्धि वालों के साथी, सहायक है।
 
कंचन बरन बिराज सुबेसा।
कानन कुंडल कुँचित केसा॥४॥
 
हिंदी अर्थ- आप सुनहले रंग, सुन्दर वस्त्रों, कानों में कुण्डल और घुंघराले बालों से सुशोभित हैं।
 
हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजे ।
काँधे मूँज जनेऊ साजे॥५॥
 
हिंदी अर्थ- आपके हाथ में बज्र और ध्वजा है और कन्धे पर मूंज के जनेऊ की शोभा है।
 
शंकर सुवन केसरी नंदन ।
तेज प्रताप महा जगवंदन॥६॥
 
हिंदी अर्थ- शंकर के अवतार! हे केसरी नंदन आपके पराक्रम और महान यश की संसार भर में वन्दना होती है।
 
विद्यावान गुनी अति चातुर ।
राम काज करिबे को आतुर॥७॥
 
हिंदी अर्थ- आप प्रकान्ड विद्या निधान है, गुणवान और अत्यन्त कार्य कुशल होकर श्री राम के काज करने के लिए आतुर रहते है।
 
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया ।
राम लखन सीता मन बसिया॥८॥
 
हिंदी अर्थ- आप श्री राम चरित सुनने में आनन्द रस लेते है। श्री राम, सीता और लखन आपके हृदय में बसे रहते है।
 
सूक्ष्म रूप धरि सियहि दिखावा ।
बिकट रूप धरि लंक जरावा॥९॥
 
हिंदी अर्थ- आपने अपना बहुत छोटा रूप धारण करके सीता जी को दिखलाया और भयंकर रूप करके लंका को जलाया।
 
भीम रूप धरि असुर सँहारे ।
रामचंद्र के काज सँवारे॥१०॥
 
हिंदी अर्थ- आपने विकराल रूप धारण करके राक्षसों को मारा और श्री रामचन्द्र जी के उद्देश्यों को सफल कराया।
 
लाय संजीवन लखन जियाए ।
श्रीरघुबीर हरषि उर लाए॥११॥
 
हिंदी अर्थ- आपने संजीवनी बूटी लाकर लक्ष्मण जी को जिलाया जिससे श्री रघुवीर ने हर्षित होकर आपको हृदय से लगा लिया।
 
रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई ।
तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई॥१२॥
 
हिंदी अर्थ- श्री रामचन्द्र ने आपकी बहुत प्रशंसा की और कहा कि तुम मेरे भरत जैसे प्यारे भाई हो।
 
सहस बदन तुम्हरो जस गावै ।
अस कहि श्रीपति कंठ लगावै॥१३॥
 
हिंदी अर्थ- श्री राम ने आपको यह कहकर हृदय से लगा लिया की तुम्हारा यश हजार मुख से सराहनीय है।
 
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा ।
नारद सारद सहित अहीसा॥१४॥
 
हिंदी अर्थ- श्री सनक, श्री सनातन, श्री सनन्दन, श्री सनत्कुमार आदि मुनि ब्रह्मा आदि देवता नारद जी, सरस्वती जी , शेषनाग जी सब आपका गुण गान करते है।
 
जम कुबेर दिगपाल जहाँ ते ।
कवि कोबिद कहि सके कहाँ ते॥१५॥
 
हिंदी अर्थ- यमराज, कुबेर आदि सब दिशाओं के रक्षक, कवि विद्वान, पंडित या कोई भी आपके यश का पूर्णतः वर्णन नहीं कर सकते।
 
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा ।
राम मिलाय राज पद दीन्हा॥१६॥
 
हिंदी अर्थ- आपने सुग्रीव जी को श्रीराम से मिलाकर उपकार किया, जिसके कारण वे राजा बने।
 
तुम्हरो मंत्र बिभीषण माना ।
लंकेश्वर भये सब जग जाना॥१७॥
 
हिंदी अर्थ- आपके उपदेश का विभिषण जी ने पालन किया जिससे वे लंका के राजा बने, इसको सब संसार जानता है।
 
जुग सहस्त्र जोजन पर भानू ।
लिल्यो ताहि मधुर फ़ल जानू॥१८॥
 
हिंदी अर्थ- जो सूर्य इतने योजन दूरी पर है कि उस पर पहुंचने के लिए हजार युग लगे। हजार युग योजन की दूरी पर स्थित सूर्य को आपने एक मीठा फल समझकर निगल लिया।
 
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं ।
जलधि लाँघि गए अचरज नाहीं॥१९॥
 
हिंदी अर्थ- आपने श्री रामचन्द्र जी की अंगूठी मुंह में रखकर समुद्र को लांघ लिया, इसमें कोई आश्चर्य नहीं है।
 
दुर्गम काज जगत के जेते ।
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते॥२०॥
 
हिंदी अर्थ- संसार में जितने भी कठिन से कठिन काम हो, वो आपकी कृपा से सहज हो जाते है।
 
राम दुआरे तुम रखवारे ।
होत ना आज्ञा बिनु पैसारे॥२१॥
 
हिंदी अर्थ- श्री रामचन्द्र जी के द्वार के आप रखवाले है, जिसमें आपकी आज्ञा बिना किसी को प्रवेश नहीं मिलता
अर्थात् आपकी प्रसन्नता के बिना राम कृपा दुर्लभ है।
 
सब सुख लहैं तुम्हारी सरना ।
तुम रक्षक काहु को डरना॥२२॥
 
हिंदी अर्थ- जो भी आपकी शरण में आते है, उस सभी को आनन्द प्राप्त होता है, और जब आप रक्षक है, तो फिर किसी का डर नहीं रहता।
 
आपन तेज सम्हारो आपै ।
तीनों लोक हाँक तै कापै॥२३॥
 
हिंदी अर्थ- आपके सिवाय आपके वेग को कोई नहीं रोक सकता, आपकी गर्जना से तीनों लोक कांप जाते है।
 
भूत पिशाच निकट नहिं आवै ।
महावीर जब नाम सुनावै॥२४॥
 
हिंदी अर्थ- जहां महावीर हनुमान जी का नाम सुनाया जाता है, वहां भूत, पिशाच पास भी नहीं फटक सकते।
 
नासै रोग हरे सब पीरा ।
जपत निरंतर हनुमत बीरा॥२५॥
 
हिंदी अर्थ- वीर हनुमान जी! आपका निरंतर जप करने से सब रोग चले जाते है और सब पीड़ा मिट जाती है।
 
संकट तै हनुमान छुडावै ।
मन क्रम बचन ध्यान जो लावै॥२६॥
 
हिंदी अर्थ- हे हनुमान जी! विचार करने में, कर्म करने में और बोलने में, जिनका ध्यान आपमें रहता है, उनको सब संकटों से आप छुड़ाते है।
 
सब पर राम तपस्वी राजा ।
तिन के काज सकल तुम साजा॥२७॥
 
हिंदी अर्थ- तपस्वी राजा श्री रामचन्द्र जी सबसे श्रेष्ठ है, उनके सब कार्यों को आपने सहज में कर दिया।
 
और मनोरथ जो कोई लावै ।
सोई अमित जीवन फल पावै॥२८॥
 
हिंदी अर्थ- जिस पर आपकी कृपा हो, वह कोई भी अभिलाषा करें तो उसे ऐसा फल मिलता है जिसकी जीवन में कोई सीमा नहीं होती।
 
चारों जुग परताप तुम्हारा ।
है परसिद्ध जगत उजियारा॥२९॥
 
हिंदी अर्थ- चारो युगों सतयुग, त्रेता, द्वापर तथा कलियुग में आपका यश फैला हुआ है, जगत में आपकी कीर्ति सर्वत्र प्रकाशमान है।
 
साधु संत के तुम रखवारे ।
असुर निकंदन राम दुलारे॥३०॥
 
हिंदी अर्थ- हे श्री राम के दुलारे! आप सज्जनों की रक्षा करते है और दुष्टों का नाश करते है।
 
अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता ।
अस बर दीन जानकी माता॥३१॥
 
हिंदी अर्थ- आपको माता श्री जानकी से ऐसा वरदान मिला हुआ है, जिससे आप किसी को भी आठों सिद्धियां और नौ निधियां दे सकते।
 
है। राम रसायन तुम्हरे पासा ।
सदा रहो रघुपति के दासा॥३२॥
 
हिंदी अर्थ- आप निरंतर श्री रघुनाथ जी की शरण में रहते है, जिससे आपके पास (असाध्य रोगों के नाश के लिए) राम नाम औषधि है।
 
तुम्हरे भजन राम को पावै ।
जनम जनम के दुख बिसरावै॥३३॥
 
हिंदी अर्थ- आपका भजन करने से श्री राम जी प्राप्त होते है और जन्म जन्मांतर के दुख दूर होते है।
 
अंतकाल रघुवरपुर जाई ।
जहाँ जन्म हरिभक्त कहाई॥३४॥
 
हिंदी अर्थ- अंत समय श्री रघुनाथ जी के धाम को जाते है और यदि फिर भी जन्म लेंगे तो भक्ति करेंगे और श्री राम भक्त कहलाएंगे।
 
और देवता चित्त ना धरई ।
हनुमत सेई सर्व सुख करई॥३५॥
 
हिंदी अर्थ- हे हनुमान जी! आपकी सेवा करने से सब प्रकार के सुख मिलते है, फिर अन्य किसी देवता की आवश्यकता नहीं रहती।
 
संकट कटै मिटै सब पीरा ।
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा॥३६॥
 
हिंदी अर्थ- हे वीर हनुमान जी! जो आपका सुमिरन करता रहता है, उसके सब संकट कट जाते है और सब पीड़ा मिट जाती है।
 
जै जै जै हनुमान गोसाई ।
कृपा करहु गुरु देव की नाई॥३७॥
 
हिंदी अर्थ- हे स्वामी हनुमान जी! आपकी जय हो, जय हो, जय हो! आप मुझ पर कृपालु श्री गुरु जी के समान कृपा कीजिए।
 
जो सत बार पाठ कर कोई ।
छूटहिं बंदि महा सुख होई॥३८॥
 
हिंदी अर्थ- जो कोई इस हनुमान चालीसा का सौ बार पाठ करेगा वह सब बंधनों से छूट जाएगा और उसे परमानन्द मिलेगा।
 
जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा ।
होय सिद्धि साखी गौरीसा॥३९॥
 
हिंदी अर्थ- भगवान शंकर ने यह हनुमान चालीसा लिखवाया, इसलिए वे साक्षी है, कि जो इसे पढ़ेगा उसे निश्चय ही सफलता प्राप्त होगी।
 
तुलसीदास सदा हरि चेरा ।
कीजै नाथ हृदय मह डेरा॥४०॥
 
हिंदी अर्थ- हे नाथ हनुमान जी! तुलसीदास सदा ही श्री राम का दास है। इसलिए आप उसके हृदय में निवास कीजिए।

 

संपूर्ण श्री हनुमान चालीसा

दोहा:
श्री गुरु चरन सरोज रज, निज मनु मुकुर सुधारि।
बरनऊँ रघुवर विमल जसु, जो दायकु फल चारि।।
बुद्धिहीन तनु जानि के, सुमिरौ पवन कुमार।
बल बुद्धि विद्या देहु मोहि, हरहु कलेश विकार।।
चौपाई
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर, जय कपीस तिंहु लोक उजागर।।
रामदूत अतुलित बल धामा, अंजनि पुत्र पवन सुत नामा।।
महावीर विक्रम बजरंगी, कुमति निवार सुमति के संगी।
कंचन वरन विराज सुबेसा, कान्न कुण्डल कुंचित केसा।।
हाथ ब्रज औ ध्वजा विराजे, कान्धे मूंज जनेऊ साजे।
शंकर सुमन केसरी नन्दन, तेज प्रताप महा जग वन्दन।।
विद्यावान गुनी अति चातुर, राम काज करिवे को आतुर।
प्रभु चरित्र सुनिवे को रसिया, राम-लखन सीता मन बसिया।।
सूक्ष्म रूप धरि सियंहि दिखावा, विकट रूप धरि लंक जरावा।
भीम रूप धरि असुर संहारे, रामचन्द्र के काज सवारे।।
लाए संजीवन लखन जियाए, श्री रघुबीर हरषि उर लाए।
रघुपति कीन्हि बहुत बठाई, तुम मम प्रिय भरत सम भाई।।
सहस बदन तुम्हरो जस गावें, अस कहि श्रीपति कण्ठ लगावें।
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा, नारद सारद सहित अहीसा।।
यम कुबेर दिगपाल कहाँ ते, कवि कोबिद कहि सके कहाँ ते।
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा, राम मिलाय राज पद दीन्हा।।
तुम्हरो मन्त्र विभीषन माना, लंकेश्वर भए सब जग जाना।
जुग सहस्र जोजन पर भानु, लील्यो ताहि मधुर फल जानु।।
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख मांहि, जलधि लाँघ गये अचरज नाहिं।
दुर्गम काज जगत के जेते, सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते।।
राम दुलारे तुम रखवारे, होत न आज्ञा बिनु पैसारे।
सब सुख लहे तुम्हारी सरना, तुम रक्षक काहूँ को डरना।।
आपन तेज सम्हारो आपे, तीनों लोक हाँक ते काँपे।
भूत पिशाच निकट नहीं आवें, महावीर जब नाम सुनावें।।
नासे रोग हरे सब पीरा, जपत निरंतर हनुमत वीरा।
संकट ते हनुमान छुड़ावें, मन क्रम वचन ध्यान जो लावें।।
सब पर राम तपस्वी राजा, तिनके काज सकल तुम साजा।
और मनोरथ जो कोई लावे, सोई अमित जीवन फल पावे।।
चारों जुग परताप तुम्हारा, है प्रसिद्ध जगत उजियारा।
साधु संत के तुम रखवारे, असुर निकंदन राम दुलारे।।
अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता, अस बर दीन्ह जानकी माता।
राम रसायन तुम्हरे पासा, सदा रहो रघुपति के दासा।।
तुम्हरे भजन राम को पावें, जनम जनम के दुख विसरावें।
अन्त काल रघुवर पुर जाई, जहाँ जन्म हरि भक्त कहाई।।
और देवता चित्त न धरई, हनुमत सेई सर्व सुख करई।
संकट कटे मिटे सब पीरा, जपत निरन्तर हनुमत बलवीरा।।
जय जय जय हनुमान गोसाईं, कृपा करो गुरुदेव की नाईं।
जो सत बार पाठ कर कोई, छूटई बन्दि महासुख होई।।
जो यह पाठ पढ़े हनुमान चालीसा, होय सिद्धि साखी गौरीसा।
तुलसीदास सदा हरि चेरा, कीजै नाथ हृदय मँह डेरा।।
दोहा
पवन तनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप।
राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप।।


हनुमान जी की आरती

आरती किजे हनुमान लला की| दुष्ट दलन रघुनाथ कला की॥
जाके बल से गिरवर काँपे | रोग दोष जाके निकट ना झाँके ॥
अंजनी पुत्र महा बलदाई| संतन के प्रभु सदा सहाई॥
दे वीरा रघुनाथ पठाए| लंका जाए सिया सुधी लाए॥
लंका सा कोट समुंद्र सी खाई| जात पवनसुत बार न लाई॥
लंका जाई असुर संहारे| सियाराम जी के काज सँवारे॥
लक्ष्मण मूर्छित पडे सकारे| लानि संजिवन प्राण उबारे॥
पैठि पताल तोरि जम कारे| अहिरावन की भुजा उखारे॥
बायें भुजा असुर दल मारे| दाहीने भुजा सब संत जन उबारे॥
सुर नर मुनि जन आरती उतारे| जै जै जै हनुमान उचारे॥
कचंन थाल कपूर लौ छाई| आरती करत अंजना माई॥
जो हनुमान जी की आरती गावे| बसहिं बैकुंठ परम पद पावें॥
लंका विध्वंश किए रघुराई| तुलसीदास स्वामी कीर्ति गाई॥
आरती किजे हनुमान लला की| दुष्ट दलन रघुनाथ कला की॥

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