संत कबीर हिंदी साहित्य के एक प्रसिद्ध रहस्यवादी कवि थे, जिनके लेखों ने मनुष्यों के दिलों पर राज करने के साथ-साथ उन्हें प्रभावित भी किया है। कबीर साहब का जन्म 1398 ईस्वी में हुआ था। अपने जीवन के दौरान उन्होंने कई धार्मिक ग्रंथ लिखे हैं जिन्होंने समाज में व्याप्त जात-पात की बुराईयों पर कटाक्ष किया है। कबीर भक्ति आंदोलन के भी जनक थे। उन्होनें बरसों से चली आ रही मूर्ति पूजा का भी विरोध किया था। उनके लिखे काव्य लोगों पर गहरा प्रभाव डालते थे। कबीर साहब दुनिया के सबसे महान कवियों में से है, जिनके दृष्टिकोण ने भारतीय दर्शन को एक नई दिशा प्रदान की। उन्हीं के सम्मान में मुंबई कबीर उत्सव का आयोजन प्रत्येक वर्ष किया जाता है। मुंबई में कबीर प्रोजेक्ट का आयोजन शबनम विरमानी की अध्यक्षता में होता है। शबनम विरमानी एक वृत्तचित्र फिल्म निर्माता हैं और कबीर के लोक संगीत के प्रति समर्पित प्रेमी हैं। गोधरा दंगों के बाद शबनम विरमाना ने लोक गायकों के साथ देश-विदेश की यात्रा की। इस 6 वर्ष की यात्रा में कई वृतचित्रों और कबीर के काव्यों से प्रभावित लोक गीतों को गाया गया। कबीर साहब के ये उत्सव भारत के साथ-साथ विदेशों के कई शहरों में आयोजित किए गए हैं। इस उत्सव में शबनम विरमानी द्वारा बनाई गई संगीत वृत्तचित्र, फिल्मों की स्क्रीनिंग की जाती है। भारत के विभिन्न हिस्सों से आए लोक और शास्त्रीय गायकों द्वारा संगीत कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।

मुंबई कबीर उत्सव


कबीर महोत्सव का उद्देश्य

मुंबई कबीर उत्सव का मुख्य उद्देश्य मुंबई के दर्शकों के साथ देश-विदेश में कबीर के संदेश को प्रवाहित करना है जो आज के समय में अधिक प्रासंगिक है। वृत्तचित्र, फिल्मों की स्क्रीनिंग, चर्चा, लाइव लोक संगीत के साथ-साथ छोटे बच्चों के लिए कहानी कहने के ज़रिए कबीर के संदेशों को जनता तक लाकर उन्हें जागरूक किया जाता है। मुंबई कबीर उत्सव की शुरुआत फरवरी 2012 में एक समिती का गठन कर की गई थी। जिसमें कहा गया था कि यह महोत्सव तभी आयोजित होना चाहिए जब इसमें दिलचस्पी और कबीर के प्रति प्रेम की भावना वाले लोग हों। इस संदेश को सभी लोगों में फैला दिया गया। जिसके बाद लोग अपनी इच्छा के अनुसार आर्थिक रूप से योगदान करके, अपने घरों-वाहनों को साझा करने, कलाकारों के लिए भोजन प्रदान करने और विभिन्न त्यौहार से संबंधित कार्यों को करने के लिए आगे आने लगे। तभी से इस महोत्सव का आयोजन किया जाने लागा।

कबीर महोत्सव में क्या होता है खास

कबीर परियोजना के तहत शुरू किए गए इस महोत्सव का उद्देश्य है कि कबीर का संदेश लोगों तक पहुंच जाए। इस तरह के सांस्कृतिक कार्यक्रमों की आवश्यकता इस तथ्य से आती है कि कबीर के मंत्र और कविताओं को आज जन-जन तक पहुंचाना बहुत जरुरी हो गया है। इसके माध्यम से आज समाज का चेहरा बदला जा सकता है। इस प्रतिष्ठित कबीर उत्सव में पूरे देश के लोग उत्साह के साथ शामिल होते हैं। मुंबई कबीर महोत्सव आज के समाज की तस्वीर लिए प्रासंगिक वृत्तचित्रों की स्क्रीनिंग के साथ शुरू होता है।

पिछले साल की सूची में निम्नलिखित विषय थे:

हद- अनहद: यह भारत और पाकिस्तान के साथ महाकाव्य के रूप में धर्म की जटिल पहेली के आसपास घूमता है।
चलो हमारे देस: यह कबीर के विचारों को दो लोगों की दोस्ती के माध्यम से बताता है, जो वास्तव में विपरीत वातावरण और स्थानों से संबंधित हैं।
कोई सुनता है: इसमें ग्रामीण और शहरी दुनिया के बीच अंतराल, और कबीर के विचारों के चित्रण शामिल हैं।
अज्ञात पक्षी: निर्देशक तनवीर मोकामेल द्वारा निर्देशित, वृत्तचित्र संगीतकार लोलन फकीर की जीवनी है। यह आपको लिनोन के दिल और दिमाग में सवारी करने के लिए ले जाता है, जो उन्होंने लिखा था।
बंगाल के बाउल गायक: यह बेनॉय बहल की 26 वें लंबी "स्पेक्ट्रैकुलर इंडिया" श्रृंखला से 11वीं पेशकश है।

तीन दिवसीय लंबे त्यौहार को कई घटनाओं द्वारा चिह्नित किया जाता है। जिससे कबीर के विचारों और कथित कविताओं को उपस्थित लोगों को बताया जाता है। इस कार्यक्रम में प्रहलाद टिपान्या, मुख्तियार अली, मुरलाला मारवाड़ा, शबनम विरमानी, मकेशिफ्ट, पार्वती बाउल और लक्ष्मण दास बाउल और वेदांत और बिंदू जैसे कई कलाकार शामिल होते हैं। संगीत के अलावा, मुंबई कबीर महोत्सव में बच्चों को प्रभावित करने के लिए कहानी के जरिए कबीर की शिक्षाएं फैलाई जाती है क्योंकि बच्चें कहानी के माध्यम से ज्यादा समझते हैं।

प्रवेश

इस त्यौहार के बारे में सबसे अच्छी बात यह है कि यह मुफ्त में है। इस उत्सव में प्रवेश 'प्रथम आओ-प्रथम-पाओ' के आधार पर होता है। वास्तव में इस उत्सव का लक्ष्य ही हर किसी को कबीर की शिक्षाओं से रुबरु कराना है।

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