ओणम के दस दिन हर मायने से खास होते हैं। चाहे वो आस्था की तरफ से हो या पकवानों की तरफ से। इन 10 दिनों में अलग अलग नृत्य भी किये जाते हैं। पहले दिन से अंतिम दिन तक केरल की सड़कें नृत्य के रंगों से सराबोर रहती हैं। आइये जानते हैं कि कौन कौन से प्रमुख नृत्य ओणम के वक्त किये जाते हैं।

कुमत्ती कली



कुमत्ती कली नृत्य केरल में मास्क डांस के नाम से भी जाना जाता है। इस नृत्य में कलाकार अपने मुंह पर एक कटहल या अन्य फल का बना हुआ नकाब पहलते हैं। एक घर से दूसरे घर डांस करते हुए जाते हैं। हर घर से उन्हें कुछ ना कुछ दिया जाता है। इनके पास एक खास वाद्य यंत्र होता है जिसे ये बजाते हैं।

थुंबी थुल्लाल



जहां पुरुष खेल खेलने चले जाते हैं तो महिलाएं इकट्ठा होकर थुंबी थुल्लाल नाचती हैं। इसमें वो अपनी सबसे बढ़िया साड़ी डालकर पूरे आभूषणों के साथ नाचती हैं। ये नाच ग्रुप में किया जाता है।

कइकोट्टी कली



इस नृत्य को तिरुवंतरकली भी कहते हैं। इस नृत्य में महिलाएं और पुरुष दोनो करते हैं। नाचते नाचते एक गोला बना दिया जाता है और फिर उसी के इर्द गिर्द नाचा जाता है।    

कथकली


इस तरह के नृत्य में नाच के साथ ड्रामा और कहानी भी होती है। इसे एक किस्म का थियेटर भी कह सकते हैं। कथकली में 5 मूलभूत चीजें आती हैं। हर तरह की अभिव्यक्ति के लिये अलग अलग तरीके से नृत्य इशारे किये जाते हैं।

पुलिकली



ये नृत्य पद्धति सबसे अलग और सबसे ज्यादा देखे जाने वाली है। इसमें लोग अपने पेट को शेर की तरह बनाकर चेहरे पर शेर का मास्क लगाते हैं। खुद को भी पीले और काले रंग से रंगा जाता है। इस तरह सजने के लिये पूरी रात लग जाती है।

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