दशहरा पूरे देश में मनाया जाता है। एक या दो जगह छोड़ दी जाएं तो रावण का पुतला लगभग हर जगह फूंका जाता है। रावण के जलने के साथ अपने अंदर की बुराई जलाने की भी कसम ली जाती हैं। चलिये आपको बताते हैं कि भारत में कहां कहां कैसे रावण दहन किया जाता है।

राजस्थान का दशहरा

राजस्थान में कलाकृतियां बहुत रंगीन बनती हैं और इसका ही प्रभाव रावण के पुतलों से भी झलकता है। बड़े बड़े पुतलों की पुताई का काम महीनों पहले ही शुरू हो जाता है। रावण के साथ साथ उनके भाई कुंभकर्ण और मेघनाथ का भी पुतला लगाया जाता है। जहां जहां ये पुतले जलाए जाते हैं वहां वहां मेला लगता है और कठपुतली का खेल भी दिखाया जाता है।

कुल्लू (हिमाचल प्रदेश)

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कुल्लू में शायद ही ऐसा कोई और त्योहार मनाया जाता होगा, जिनती भव्यता से दशहरा मनाया जाता है। कुल्लू के धालपुर मैदान में सात दिन तक दशहरे का त्योहार चलता है। यहां दूर दूर से लोग मेला दखने आते हैं। स्थानीय देवी देवता भी मेले में शिरकत करते हैं। कुल देवताओं को पालकी में बैठाकर यात्राएं निकाली जाती हैं।

मैसूर का दशहरा

कर्नाटक के मैसूर में भी दशहरा काफी धूम धाम से मनाया जाता है। रंग बिरंगे शहर में बड़े बड़े हाथियों को सजाया जाता है और फिर झांकियां निकाली जाती हैं। चामुंडेश्वरी मंदिर में पूजा अर्चना कर ये कार्यक्रम शुरू किए जाते हैं।

दिल्ली का दशहरा

दिल्ली के दशहरे का एक अलग ही रूप है। यहां दशहरे के दिन बड़े बड़े पुतले बनाए जाते हैं और उन्हें प्रधानमंत्री से लेकर मुख्यमंत्री तक आग लगाते हैं। दिल्ली में रामलीला मैदान और सुभाष पार्क में बड़े पुतले जलाए जाते हैं।

अंबाला के बराड़ा का दशहरा

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अंबाला के बराड़ा में अब तक का सबसे ऊंचा रावण का पुतला दहन होता रहा है। बराड़ा का रावण पांच बार लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज हो चुका है । पिछले साल रावण का पुतला 210 फुट का था जो कि देश में सबसे ऊंचा था।

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