बड़े बड़े ढोलों की थाप और चमक मारते हुए कपड़ों में रखे पकवानों के बीच ओणम मनाया जाता है। कहीं हाथी नाच रहे होते हैं तो कहीं नौकाएं आपस में दौड़ लगाती हैं। कहीं रंग बिरंगे पकवान बांटे जाते हैं तो कहीं पेट पर शेर की शक्ल बनाकर पारंपरिक झांकियां निकाली जाती हैं। इस दिन ऐसा लगता है मानो हम कई साल पहले के उस दौर में आ गए हैं जहां पर अब भी राजा महाबलि का राज है। चलिये आपको बताते हैं कि ओणम में क्या क्या किया जाता है।
फूलों की रंगोली
ओणम की पहचान इसकी फूलोंं की रंगोली से होती है। महिलाएं और लड़कियाँ घर में फूलों की रंगोली बनाती हैं। अलग अलग रंग के कई फूल लाए जाते हैं और एक बेहद ही आकर्षित करने वाली रंगोली तैयार की जाती है। इश रंगोली को ओणमपुक्कलम कहते हैं।
हाथियों की शोभायात्रा
हर नगर में हाथियों की शोभायात्रा निकाली जाती है। सबसे पहले हाथियों को नहला कर अच्छे तरीके से सजाया जाता है। हाथियों के सिर पर मुकुट पहनाया जाता है और नए कपड़े ऊपर रखे जाते हैं। हाथी भी शोभा यात्रा में मदमस्त होकर नाचते और बड़े ही अनुशासनात्मक तरीके से आगे बढ़ते हैं।
तरह तरह के पकवान
इस दिन हर घर में कई तरह के पकवान बनतै हैं। यहां के पारंपरिक भोज को ओनसद्या कहा जाता है इशमें 18 तरह के पकवान तो दूध के ही होते हैं। पकवानों के साथ साथ पचड़ी–पचड़ी काल्लम, ओल्लम, दाव, घी, सांभर भी बनाया जाता है. पापड़ और केले के चिप्स बनाए जाते हैं
नाविकों के लिये खास दिन
इस दिन मछुआरे और नाविक अपनी नावों को सजाते हैं और उन पर एक झंडा लगाते हैं साथ रंग बिरंगी छतरियां भी पकड़ी होती हैं। पारंपरिक गीत गाते हुए नाव को धीरे से चलाया जाता है, ठीक वैसे ही जैसे कि कोई मछली हो। थीरु ओणम की पिछली शाम को नावें चलती हैं और ढोल नगड़े बजाए जाते हैं। हर नाव पर लैंप जलाए जाते हैं और एक अनोखी शोभा यात्रा निकलती है। वोट फेस्टिवल ओणम के पांचवे दिन होता है।